भीलवाड़ा। कुछ दिनों पहले तक राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे थे। देखते ही देखते 26 लोग इसकी चपेट में आ गए और यह कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया और सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराया गया। लोगों को दूध, राशन आदि अत्यावश्यक वस्तुओं की कमी नहीं होने दी गई।
आखिरकार भीलवाड़ा ने कोरोना को हरा दिया। 22 लोग अब पूरी तरह ठीक हैं, जबकि 2 लोगों की मौत हो गई। आज सारा देश भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा कर रहा है। विशेषज्ञ भी इस मॉडल को अपनाने की सलाह दे रहे हैं। आइए उन 5 कारणों पर डालते हैं एक नजर जिनकी मदद से भीलवाड़ा कोरोना को मात देने वाला देश का पहला शहर बन गया....
1. सील की सीमाएं : भीलवाड़ा ने इस जंग में एक नया मॉडल अपनाया। इसके लिए सबसे पहले यहां की सीमाएं चारों ओर से बंद कर दी गईं। ना तो कोई व्यक्ति शहर में आया और ना ही किसी को यहां से बाहर जाने की अनुमति मिली। यहां तक कि नेताओं और सामाजिक संगठनों को भी शहर में नहीं आने दिया गया। पूरे शहर को अच्छी तरह से सैनेटाइज किया गया।
2. बांगड़ अस्पताल की चैन तोड़ी : शहर में लगभग सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का कनेक्शन बांगड़ अस्पताल से था। इस अस्पताल को सील कर दिया गया और ताबड़तोड़ योजना बनाकर उन सभी लोगों से संपर्क किया गया जो मार्च में इस अस्पताल में गए थे।
3. घर-घर स्क्रीनिंग : शहर में कोरोना वायरस ने सबसे पहले बांगड़ अस्पताल के डॉक्टर को अपना शिकार बनाया। उनसे संपर्क में आए कई लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए। इसके बाद भी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपना हौसला बनाए रखा और दूसरों के मनोबल को भी नहीं गिरने दिया। 15 हजार टीमें बनाकर 26 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई। दिन रात एक करते हुए इन कोरोना वीरों ने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की और संक्रमितों का पता लगाया।
4. सख्ती और अनुशासन : कोरोना पर शिकंजा कसने के लिए यहां प्रशासन ने सख्ती से कर्फ्यू का पालन कराया। एक और सख्ती बरती जा रही थी तो दूसरी और स्थानीय लोगों ने भी अनुशासन के साथ सरकार के सभी निर्देशों का पालन किया। लोग घरों में ही रहे और केवल दूध और अन्य आवश्यक सामान लेने के लिए ही दरवाजा खोला। अगर आज 26 में से 22 कोरोना पॉजिटिव ठीक हो गए हैं तो यह यहां के लोगों के जज्बे की ही जीत है।
5. आइसोलेशन : पॉजिटिव पाए गए लोगों को तत्काल आइसोलेट किया गया। क्वारंटाइन किए गए लोगों के घरों के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया, जिससे वे बाहर नहीं निकल सकें। इसके अलावा वे लोग भी सेल्फ आइसोलेट हो गए जो इन दिनों बांगड़ अस्पताल के संपर्क में आए थे।