जम्मू। देश में कोरोना रिटर्न की खबरों ने प्रदेश में भी हलचल पैदा कर दी है। स्वास्थ्य विभाग की बैठकों में मास्क और सेनेटाइजर के इस्तेमाल पर जोर देने और नियम लागू करने पर अगर जोर दिया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की 80 परसेंट आबादी ने अभी तक कोरोना की एतिहाती खुराक नहीं ली है। नतीजतन टूरिज्म सेक्टर से जुड़े लोगों में भी कोरोना रिटर्न की खबरें घबराहट पैदा कर रही हैं।
यह सच है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश में कोरोना के दैनिक पाजिटिव मामलों में वृद्धि देखी गई है। लगातार दो हफ्तों से जम्मू कश्मीर में भी कोरोना के मामले बढ़े हैं। जम्मू और कश्मीर के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव भूपिंदर कुमार ने सभी अधिकारियों को सतर्क रहने और उभरती स्थिति के लिए खुद को तैयार करने का निर्देश भी दिया है।
प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना के बढ़ते मामलों को गंभीर रूप से लेने को कहा है और इससे बचने के लिए मास्क और सेनेटाइजर के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। सरकारी प्रवक्ता ने मास्क पहनने सहित कोविड-उपयुक्त व्यवहार को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है। प्रवक्ता ने बुजुर्ग व्यक्तियों और बच्चों को भीड़भाड़ वाले और खराब हवादार स्थानों से बचने के लिए भी प्रेरित किया है।
इन सबके बीच वे आंकड़ें घबराहट पैदा करते थे जिसमें कहा जा रहा है जम्मू कश्मीर की 18 से अधिक आयु वर्ग की अनुमानित 93 लाख (कुल आबादी का 66 प्रतिशत का हिस्सा) आबादी में से 80 प्रतिशत (76 लाख से अधिक) ने एहतियाती खुराक ली ही नहीं है।
दरअसल जम्मू कश्मीर के चिकित्सा केंद्रों पर मौजूदा एहतियाती टीके की खुराक उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से खुराक की मांग की गई है, लेकिन अभी तक यह उपलब्ध नहीं हो पाई है। एक साल से प्रदेश में कोविड दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। सार्वजनिक स्थानों से लेकर चिकित्सा केंद्रों तक यही हालत है।
सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग, बार-बार हाथ धोने का चलन खत्म हो चुका है। ऐसे में कश्मीर में टूरिस्टों की से जो चेहरा खुशी से दमक रहा था वह अब इसी चिंता में है कि कोरोना रिटर्न की खबरों के कारण यह खुशी कितने दिनों तक कायम रह पाएगी। कारण स्पष्ट है। देश में बढ़ते कोरोना के मामलों और नई लहर आने की अफवाहें गर्म होने का परिणाम है कि कश्मीर अब एक बार फिर डरने लगा है।