भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है। इसके साथ ही भारत दुनिया के कई देशों को वैक्सीन दे भी रहा है। इसके साथ ही कई अमीर और सक्षम देश भी भारत से वैक्सीन मांग रहे हैं।
द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन अपनी कुल आबादी के करीब आधे वयस्कों को टीके का कम से कम एक डोज दे चुका है, जबकि भारत टीकाकरण की रेस में अभी काफी पीछे है। इसके बावजूद ब्रिटेन भारत से 50 लाख वैक्सीन की मांग कर रहा है।
दुनिया के कुछ अमीर देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कनाडा जैसे देशों को करोड़ों की संख्या में वैक्सीन मिल चुकी है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन पर इन देशों का कोई हक नहीं है। इसका निर्माण दुनिया के 92 गरीब देशों के लिए किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत ने कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। साथ ही कहा कि अब तक भारत ने दुनियाभर के 80 से अधिक देशों में वैक्सीन उपलब्ध कराई है।
एक साल पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट ने घोषणा की थी कि वो किसी भी वैक्सीन निर्माता को कहीं भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के निर्माण का अधिकार दे सकते हैं। इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जो कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है) ने एक करार किया और वैक्सीन निर्माण का लाइसेंस हासिल किया।
एक महीने बाद गेट्स फाउंडेशन के कहने पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मल्टीनेशनल फार्मा ग्रुप एस्ट्राजेनेका के एक समझौते पर साइन किए, जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट को भी फार्मा कंपनी के साथ नई डील साइन करनी पड़ी। नई डील के तहत सीरम इंस्टीट्यूट को GAVI वैक्सीन संधि के तहत गरीब देशों के लिए वैक्सीन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसमें दुनिया के 92 गरीब देश शामिल हैं।