नई दिल्ली। केंद्र सरकार से दिल्ली को वैक्सीन नहीं मिलने और वैक्सीन खत्म होने के कारण दिल्ली सरकार को दिल्ली में आज से युवाओं का वैक्सीनेशन बंद करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि वैक्सीन खत्म होने के कारण हमें वैक्सीनेशन सेंटर बंद करने का बेहद दु:ख है।
केंद्र से वैक्सीन जैसे ही वैक्सीन मिलेगी, सेंटर चालू हो जाएंगे। केजरीवाल ने देश में वैक्सीन की उपलब्धता तुरंत बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को 4 सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 3 महीने में सभी का वैक्सीनेशन करने के लिए हर महीने 80 लाख वैक्सीन की जरूरत है, लेकिन केंद्र ने दिल्ली का जून का कोटा घटाकर 8 लाख डोज कर दी है।
अगर दिल्ली को हर महीने 8 लाख वैक्सीन मिली तो, सभी वयस्क लोगों का वैक्सीनेशन करने में 30 महीने लग जाएंगे। तब तक कोरोना की न जाने कितनी लहरें आएंगी और न जाने कितने और लोगों की मौतें हो जाएंगी। केजरीवाल ने कहा कि मेरा केंद्र सरकार से यही अनुरोध है कि दिल्ली को तुरंत वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाए, ताकि हम फिर से वैक्सीन लगाना शुरु करें और अपने सभी वैक्सीनेशन सेंटर खोलें।
दिल्ली में कम हुई कोरोना की रफ्तार : केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कोरोना की रफ्तार काफी कम हो गई है। पिछले 24 टे में दिल्ली में केवल 2200 कोरोना के केस आए हैं। पिछले 24 घंटे में संक्रमण दर भी घटकर केवल 3.50 फीसद रह गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना का खतरा टल गया है। कोरोना का खतरा अभी भी है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्र सरकार वैक्सीन उपलब्धता बढ़ाने के लिए ये 4 सुझाव दिए हैं-
पहला : भारतीय बायोटेक कंपनी, जो कोवैक्सिन बनाती है। वह अपनी वैक्सीन का फार्मूला दूसरी कंपनियों देने को तैयार हो गई है। देश में वैक्सीन बनाने वाली ढेरों कंपनियां हैं। केंद्र सरकार तुरंत उन सभी कंपनियों को बुलाएं। उनसे अनुरोध न करें, बल्कि उन्हें आदेश दें कि वह सभी कंपनियां युद्ध स्तर पर समयबद्ध तरीके से वैक्सीन बनाना तुरंत चालू करें। इन सभी कंपनियों को अगले 24 घंटे में बुलाकर यह आदेश दिए जाएं। इस वक्त एक-एक दिन कीमती है।
दूसरा : जितनी भी विदेशी वैक्सीन है, उनको भारत में इस्तेमाल करने की तुरंत इजाजत दी जाए। यह 24 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए। इसमें भी बिल्कुल देरी न की जाए। विदेशी वैक्सीन के जितने भी निर्माता हैं, उनसे भारत सरकार बात करें। अभी भारत सरकार ने राज्यों पर छोड़ दिया है कि राज्य बात करें। हर राज्य अपने-अपने स्तर पर विदेशी कंपनी वालों से बात करें। यह कोई अच्छा लगता है।
भारत के 36 राज्य और केंद्र यूनियन टेरिटरी हैं। ये हर कंपनी के सामने जाकर आपस में लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र, हरियाणा से लड़ रहा है, हरियाणा, दिल्ली से लड़ रहा है। सबके सब विदेशी कंपनियों के सामने आपस में लड़ रहे हैं। इससे विदेशों में भारत की क्या छवि बन रही है? भारत सरकार उनसे वैक्सीन खरीदेगी, तो यह कंपनियां भारत सरकार को बहुत ज्यादा गंभीरता से लेंगी और फिर भारत सरकार तो सीधे इन कंपनियों के देशों की सरकारों से भी बात कर सकती है। भारत सरकार जब उन कंपनियों से बात करेगी, तो भारत सरकार कई सौ करोड़ की वैक्सीन खरीदने की बात करेगी। भारत सरकार को इन कंपनियों से वैक्सीन खरीदकर राज्य सरकारों को बांट देनी चाहिए।
तीसरा : मीडिया में आ रहा है कि कुछ देश ऐसे हैं, जिन्होंने जरूरत से ज्यादा वैक्सीन जमा कर रखी है। उनकी जनसंख्या जितनी है, उससे कही ज्यादा वैक्सीन स्टोर कर के रखे हुए हैं। उन देशों से भारत सरकार को वैक्सीन लेने के लिए गुजारिश करनी चाहिए।
चौथा : जितनी विदेशी कंपनियां वैक्सीन उत्पादक हैं, उन्हें भारत में भी वैक्सीन उत्पादन करने की तुरंत अनुमति दी जाए।