फाइजर और मॉडर्ना के बाद अब एक और कंपनी ने बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने 12 से 17 साल के किशोरों पर कोरोना वैक्सीन की टेस्टिंग की घोषणा की है।
कंपनी ने कहा है कि वह अपने क्लिनिकल ट्रायल का दायरा बच्चों तक बढ़ा दिया है। जॉनसन एंड जॉनसन के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर पॉल स्टोफेल ने बताया कि कोविड-19 का बहुत बड़ा असर बच्चों पर भी पड़ने लगा है।
इससे न सिर्फ बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है बल्कि उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता, पढ़ाई बाधित होती और ओवरऑल हेल्थ कंप्लीकेशन बढ़ जाती। इसलिए बच्चों में वैक्सीन की बहुत सख्त जरूरत पड़ गई है।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह बेहद जरूरी है कि हम सभी के लिए वैक्सीन बनाए। दुनिया में जहां भी लोग हैं, उनमें कोरोना न हो, इसके लिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी के लिए वैक्सीन बनाए। वैक्सीन की सफलता से हम लोगों को एक बार फिर से सामान्य दिनचर्या में ला सकते हैं।
कंपनी ने कोविड-19 के क्लिनिकल ट्रायल का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। इससे पहले के ट्रायल में कंपनी ने 18 से 55 साल के लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई थी। इनमें कुछ 65 साल से ज्यादा के लोगों पर भी परीक्षण किया गया। अब वैक्सीन का परीक्षण किशोरों पर भी किया जा रहा है। इसके तहत पहले 16 और 17 साल के बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद इस वैक्सीनेशन अभियान को 12 साल के बच्चों तक बढ़ाया जाएगा। इससे पहले फाइजर बायोनटेक और मोर्डना की वैक्सीन का ट्रायल किशोरों पर हो चुका है।