हाल ही में देश में पत्रकारों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद राजस्थान के पत्रकारों में भी चिंता व्याप्त हो गई है। प्रदेश में इस समय करीब 200 से अधिक छोटे-बड़े पत्रकारों के संगठन है एवं 5000 से अधिक अधिस्वीकृत एवं गैर अधिस्वीकृत पत्रकार विभिन्न छोटे-बड़े समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, टीवी चैनल एवं वेब पोर्टल आदि में कार्य कर रहे हैं। इसी को लेकर प्रदेश के विभन्न पत्रकार संगठनों ने राज्य सरकार से पत्रकारों को भी 50 लाख की बीमा योजना में सम्मिलित करने का आग्रह किया है।
इस संबंध में पत्रकारों के संरक्षण को लेकर देश के जाने-माने वयोवृद्ध एवं प्रख्यात पत्रकार कल्याण सिंह कोठारी का कहना है कि जो पत्रकार वास्तव में फील्ड में जाकर काम कर रहे है, उन पत्रकारों का सरकार को बीमा करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें सुरक्षा किट भी मुहैया करानी चाहिए। जो पत्रकार फील्ड में जाते हैं उनका साप्ताहिक रूप से चैकअप होना चाहिए। सरकार की तरफ से उनको हर सुरक्षा उपकरण भी मुहैया कराने चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनको मेडिक्लेम भा भी पूरा लाभ मिलना चाहिए। इनमें जो मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं, उनको यह सुविधा मिलनी चाहिए। आजकल कई प्रकार के बहुत सारे फर्जी पत्रकार लाभ उठाने की दौड़ में हैं। वास्तव में जो ईमानदार या सही पत्रकार हैं, वे लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए सरकार को अच्छी प्रकार से छानबीन कर और संबंधित मीडिया संस्थान की रिकमंडेशन को देखकर ही यह सभी सुविधाएं देनी चाहिए।
राज्य के वरिष्ठ पत्रकार महेश झालाणी का कहना है कि करीब 10 हजार के वार्षिक प्रीमियम के हिसाब से 5 हजार पत्रकारों का बीमा करने में 5 करोड़ रुपए सरकार को खर्च करने होंगे। सरकार के लिए यह राशि अत्यल्प है एवं इसमें सभी पत्रकारों एवं परिजनों का भला हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को सभी प्रकार के जोखिम उठाकर अपने कार्य को अंजाम देना पड़ता है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते भी पत्रकार जोखिम उठाकर ही कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पत्रकार की कोई परिभाषा तय नहीं है जो गांव से खबर भेज रहा है वह भी पत्रकार है, जो पत्रकारिता की आड़ में व्यापार कर रहा है वह भी पत्रकार ही है। इसलिए इस चक्कर में न पड़कर सभी पत्रकारों को बीमा सरकार को कर देना चाहिए। जब तक कोराना भी भाग जाएगा एवं पत्रकारों का जीवन भी सुरक्षित हो जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक का कहना है कि जो पत्रकार, फोटोग्राफर या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रिपोर्टर एवं कैमरामैन फील्ड में काम कर रहे हैं, वह पुलिसकर्मियों जैसे ही काम कर रहे है। वे भी कोरोना महामारी से दूर नहीं हैं। इस संबंध में सरकार ने जो घोषणा पुलिसकर्मी, अधिकारी, चिकित्साकर्मी, नर्सिंगकर्मी के लिए 50 लाख का बीमा करने की एवं क्लेम देने की बात कही है, वह क्लेम फील्ड में काम करने वाले पत्रकारों को भी देना चाहिए।
आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्रसिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री के पुलिसकर्मी, अधिकारी, चिकित्साकर्मी, नर्सिंगकर्मी के लिए 50 लाख का बीमा करने के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही समस्त पत्रकारों के लिए भी इसे लागू करने एवं सम्मिलित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि पत्रकारों को भी संक्रमण का उतना ही खतरा उठाना पड़ रहा है।