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डर के बीच घर लौटे Corona से ठीक हुए बुजुर्ग दंपति, बिना खाए 135 किमी पैदल चल गांव पहुंचा मजदूर

हमें फॉलो करें डर के बीच घर लौटे Corona से ठीक हुए बुजुर्ग दंपति, बिना खाए 135 किमी पैदल चल गांव पहुंचा मजदूर
, गुरुवार, 26 मार्च 2020 (20:28 IST)
मुंबई। कोरोना वायरस (Corona virus) के संक्रमण से ठीक होने के बाद एक बुजुर्ग दंपत्ति को अस्पताल से छुट्टी मिल गई लेकिन वह तमाम चिंता के बीच अपने घर लौटे, वहीं 26 साल के एक श्रमिक ने अपने गांव लौटने के लिए बिना कुछ खाना खाए 135 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की।
 
पूर्वी उपनगर घाटकोपर के बुजुर्ग दंपति के विदेश यात्रा से लौटने के बाद उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।
 
इस दंपति को इस बात की चिंता थी कि पड़ोस में रहने वाले और अन्य लोग उनके लौटने पर कैसा व्यवहार करेंगे। लेकिन जल्दी ही उनका डर दूर हो गया।
 
दंपति ने कहा कि हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया गया। सभी ने सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए हमारा हाल-चाल पूछा। बीएमसीकर्मियों ने उनके प्रवेश करने से पहले ही घर की सफाई कर दी थी।
 
उन्होंने कहा कि लोगों ने हमें अगले 14 दिनों के लिए भोजन और मदद की पेशकश भी की क्योंकि हमें घर में अलग रहना है।
 
इस बीच एक भाई-बहन को मंगलवार को छुट्टी मिली और दोनों का अनुभव भी ऐसा ही था। दोनों ने विदेश की यात्रा की थी और पिछले हफ्ते दोनों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।
 
महिला ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों की प्रतिक्रिया को लेकर चिंतित थे और भय था कि लोग हमसे कटकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों ने न सिर्फ उनका अभिवादन किया बल्कि लौटने पर खुशी भी जताई।
 
135 किलोमीटर पैदल चलकर घर लौटा मजदूर : इस बीच कोरोना वायरस पर काबू के लिए लागू लॉकडाउन के कारण यात्रा पर लगी रोक को देखते हुए 26 साल के एक श्रमिक ने अपने गांव जाने के लिए बिना कुछ खाए 135 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। उसने नागपुर से चंद्रपुर तक की यात्रा की।
 
बंद के कारण पैदा हुई दहशत की स्थिति में गरीब लोग अपने घर लौटने लगे। नरेंद्र शेलके ने भी अपने गांव लौटने का फैसला किया। वह पुणे में मजदूरी करता था। वह ट्रेन से पुणे से नागपुर पहुंच गया, लेकिन बाद में सभी प्रकार की आवाजाही पर रोक लग गयी।
 
कोई विकल्प नहीं देख उसने पैदल ही दूरी तय करने का फैसला किया। वह दो दिनों तक सिर्फ पानी पर ही रहा और पूरी तरह से थक गया। बुधवार की रात पुलिस की नजर उस पर पड़ी और उसने उन्हें अपनी कहानी सुनाई।
 
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, उसे तत्काल स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी जांच की गई। पुलिस के एक अधिकारी ने अपने घर से लाकर उसे खाना खिलाया।
 
बाद में अस्पताल से अनुमति मिलने के बाद पुलिस ने एक वाहन की व्यवस्था कर उसे उसके पैतृक गांव जांभ तक पहुंचाया।

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