इंदौर। स्वच्छता के मामले में देश में लगातार 3 बार नंबर 1 रहे इंदौर में तेजी से बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या ने सभी को हैरान कर दिया है। शहर में चारों ओर से कोरोना मरीजों के मिलने की खबरें लगातार आ रही हैं। इसके बाद भी लोग पुलिस, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। कोई उनसे बदसलूकी कर रहा है तो कोई पत्थर मारने पर उतारू है।
इंदौर में पहले रानीपुरा और फिर टाटपट्टी बाखल में हुई पत्थरबाजी और बदसलूकी घटनाओं से इंदौरवासियों का सिर शर्म से झुक गया साथ ही इंदौर से जुड़े लोग भी दुखी हैं और हैरान भी हैं। क्योंकि उन्हें इस सबकी कतई उम्मीद नहीं थी। सभी के मुंह से यही सुनाई दे रहा है कि ऐसा तो नहीं था हमारा इंदौर।
जनता कर्फ्यू की शाम 5 बजे बाद जो जश्न मना उसने इंदौर की शान को बट्टा तो लगाया ही शहर में अनुशासन की
पोल भी खोलकर रख दी। इसके बाद कभी किराना, कभी सब्जी तो कभी दूध के नाम पर सड़कों पर लोगों की भीड़ दिखाई दी। इससे कोरोना को इंदौर में जगह बनाने का मौका मिल गया। फिर क्या था, कलेक्टर बदल गए, SSP का भी तबादला हो गया।
इतना कुछ हो गया फिर भी लोग नहीं माने। नए कलेक्टर मनीष सिंह ने शहर में संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया।
व्यवस्थाओं में भी आचूलचूल बदलाव किया गया। घरों तक दूध पहुंचने लगा। नगर निगम ने भी घरों तक आवश्यक
सामान पहुंचाने की व्यवस्था भी शुरू की। फिर भी लोग हैं कि नहीं मानते।
बहरहाल कोरोना वायरस ने अपने पैर शहर में तेजी से पसारने शुरू कर दिए हैं। इस पर प्रशासन ने कुछ इलाकों को सील भी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने नगर निगम की मदद से इन्हें तुरंत सेनिटाइज किया। पीड़ितों को तुरंत
क्वारंटाइन किया गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी लोभ मानने को तैयार नहीं हैं। कोरोना संक्रमित लोग अस्पतालों से भागकर घर आ गए और अपने ही दोस्तों, रिश्तेदारों और परिजनों से मिलकर उन्हें संक्रमित कर दिया।
देखते ही देखते शहर में 5 लोगों की मौत हो गई। 75 कोरोना पॉजिटिव निकल गए। अब भी कोई मनाने को तैयार नहीं है। लॉकडाउन के दौर में जानबूझकर की गई इन भयावह गलतियों ने शहर के लाखों लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है। प्रशासन को भी लॉकडाउन का पालन नहीं करने वालों, संक्रमण फैलाने वालों और पत्थर चलाने वालों पर सख्त कर्रवाई करनी चाहिए।