कोच्चि। भारत के पहले कोविड-19 हॉटस्पॉट में से एक केरल का कासरगोड़ जिला रविवार को कोरोना वायरस से मुक्त हो गया। उत्तरी केरल का यह जिला, जिसने राज्य के अन्य जिलों की तुलना में स्वास्थ्य अवसंरचना में बेहतर ढंग से सुधार किया है, वहां 1 भी मौत नहीं हुई।
लेकिन यह राहत बहुत कम समय के लिए रही, क्योंकि सोमवार को जिले से कोरोना वायरस के नए मामले सामने आए। महाराष्ट्र से आए 4 लोग इस घातक वायरस से संक्रमित पाए गए जिसके बाद जिले में कोविड-19 का दूसरा दौर शुरू हो गया।
हालांकि पुलिस के शीर्ष अधिकारी विजय सखारे ने कहा कि चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्थिति से उसी रणनीति को मजबूती से लागू कर निपटा जा सकता है। सखारे की 'ट्रिपल लॉक' की रणनीति ने जिले को वायरस के प्रकोप से बचाकर रखा है। 'ट्रिपल लॉक' में प्रौद्योगिकी और मानवीय निगरानी का संयोजन और लोगों की आवाजाही को 3 चरणों में प्रतिबंधित करना शामिल है।
सखारे आईजी रैंक के अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 23 मार्च को उन्हें कासरगोड़ के कोविड-19 विशेष अधिकारी के तौर पर तैनात किया। उन्होंने 'ट्रिपल लॉक' रणनीति लागू की और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उनके उपाय कारगर साबित हुए।
इसी तरह की रणनीति पड़ोस के कन्नूर जिले में भी लागू की गई और यह उसे कोविड-19 हॉटस्पॉट बनने से रोकने में मददगार साबित हुआ। सखारे ने 'ट्रिपल लॉक रणनीति' पर तैयार अपने नोट में अंतरराज्यीय सीमाओं के मार्ग से लौटने वाले लोगों के कारण पनपी नई चुनौतियों के बारे में चर्चा की है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्थानों से लौटने वाले लोगों को संस्थागत केंद्रों या होटलों में आवश्यक पृथकवास में रहने को कहा गया है।
अधिकारी ने कहा कि लौटने वालों में से कई लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। इनमें से कुछ में संभवत: लक्षण न नजर आएं जबकि कुछ में दिख सकते हैं। इसलिए ऐसी चुनौतियों से निपटने और समुदाय में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए 'ट्रिपल लॉक' रणनीति को तेज करना होगा।
इस रणनीति का पहला लॉक जिले में रहने वाले लोगों की आवाजाही पर व्यापक प्रतिबंध लगाने से जुड़ा है, लॉक-2 सुनिश्चित भोगौलिक क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए है, जहां संक्रमण के मामले हों और तीसरा चरण कोविड-19 मरीजों के घरों में प्राथमिक एवं उनसे संक्रमित होने वाले अन्य संपर्कों का पता लगाने के लक्षित प्रयास से संबंधित है। (भाषा)