कोरोना वैक्सीन पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद बनकर आई है। लेकिन अब फाइजर-बायोएनटेक के कोरोना टीके को लेकर सवाल उठने लगे हैं। वहीं चीन प्रयोगिक टीके को बिना अंतिम अनुमति दिए ही बहुत बड़ी आबादी को टीका लगा चुका है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकारों की ऐसी कार्रवाइयों से टीके को लेकर लोगों के मन में संशय पैदा हो रहा है।
दरअसल, कनाडा में फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले एक डॉक्टर की तीन दिन बाद ही मौत होने से हड़कंप मच गया। कनाडा के सार्वजनिक स्वास्थ विभाग ने शुक्रवार को इस मामले में जांच बैठायी है।
डॉक्टर की मौत में टीके की भूमिका होने का पता लगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि फ्लोरिडा के मियामी बीच में द माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्रेगरी माइकल का 18 दिसंबर वैक्सीन का टीका लगवाने के बाद निधन हो गया। डॉ. माइकल की पत्नी हेइडी नेकेलमैन ने बीते मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी।
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने कहा कि डॉ. माइक की मौत के मामले में वे नजर बनाए हुए हैं। यहां फाइजर के टीके से टीकाकरण हो रहा है।
अमेरिका व सहयोगी जर्मन कंपनी फाइजर-बायोएनटेक ने मौत के मामले पर शनिवार को कहा कि मामले में जांच हो रही है। हालांकि हमारा मानना है कि फ्लोरिडा के डॉक्टर की मृत्यु में वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है।
20 से अधिक देश फाइजर की वैक्सीन से टीकाकरण करा रहे हैं।
5 से अधिक देशों में इस टीके के नकारात्मक असर के मामले आए।
चीन की सरकार ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर इसकी घोषणा की है। उसने कहा कि वह अब तक कोरोना वायरस के टीके की 90 लाख खुराकों को लगा चुका है। गौरतलब है कि चीन ने एक सप्ताह पहले ही अपने यहां निर्मित सिनोफार्म कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसी भी वैक्सीन कंडिडेट को बिना आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दिए ही टीकाकरण कैसे करा दिया गया।
चीन में बहुत बड़ी संख्या में प्रयोगिक टीके से ही टीकाकरण कराया जा रहा है, जिस पर सवाल उठते रहे हैं। चीन ने यह भी कहा कि वह अपने नागरिकों को मुफ्त टीका देगा।