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Coronavirus के हवा में फैलने से न घबराएं, बचाव के लिए अपनाएं यह तरीका

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, बुधवार, 8 जुलाई 2020 (19:46 IST)
हैदराबाद। आधुनिक जीव विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले यहां स्थित एक शीर्ष संगठन के वैज्ञानिक ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण के हवा से फैलने संबंधी 200 से अधिक वैज्ञानिकों के एक समूह के दावे को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस अध्ययन में सिर्फ यह बताने की कोशिश की गई है कि यह वायरस हवा में अस्थायी रूप से हो सकता है और इसका यह मतलब भी नहीं है कि वायरस हर जगह पहुंच रहा है और हर किसी को संक्रमित कर देगा।
 
यहां स्थित ‘सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी’ (सीसीएमबी) के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि इसका मतलब यह है कि लोगों को अधिक समय तक मास्क पहनना चाहिए और वायरस से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने जैसी अन्य सावधानी बरतना जारी रखना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को पत्र भेजकर कहा है कि इस बात के सबूत है कि कोरोना वायरस हवा से फैल रहा है और यह दो शोध-पत्रों पर आधारित है।
 
मिश्रा ने 'पीटीआई' से कहा कि ये अच्छे अध्ययन हैं। इसके आधार पर डब्ल्यूएचओ से जो संवाद किया जा रहा है, वह यह है कि वायरस बहुत कम समय तक अस्थायी रूप से हवा में हो सकता है। इसका यह मतलब है यह पांच माइक्रोन से कम आकार की छोटी बूंदों (ड्रॉप्लेटस) में हवा में इधर-उधर जा सकता है और इसका मतलब यह हुआ कि बड़ी बूंदों के रूप में यह कुछ ही मिनटों तक हवा में रहेगा।
 
उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति बोलता है या सांस लेता है तो छोटी बूंदें छोड़ता है और यह कुछ समय के लिए हवा में रहेंगी। उन्होंने कहा कि इसलिए लोगों को लंबे समय तक मास्क पहनना चाहिए।
 
मिश्रा ने कहा कि लेकिन, फिलहाल, ऐसा नहीं होगा, जहां तक मैं देख रहा हूं, कुछ संशोधनों को छोड़कर दिशा-निर्देशों में कोई बड़ा बदलाव करने की जरूरत नहीं है और घबराने की भी आवश्यकता नहीं है कि वायरस सभी जगह उड़ रहा है और यह सभी को संक्रमित कर देगा।
 
‘न्यूयार्क टाइम्स’ की एक खबर के अनुसार 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखते हुए कहा है कि इस बात के सबूत हैं कि कोरोनावायरस हवा से फैल रहा है और एक छोटा कण भी लोगों को संक्रमित कर सकता है इसलिए दिशा-निर्देश में बदलाव करें।
 
मिश्रा ने कहा कि शोध के निष्कर्ष अच्छे थे क्योंकि वे वायरस से बचाव के लिए और अधिक तरीके विकसित करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि डब्ल्यूएचओ वैज्ञानिकों द्वारा भेजे गए शोध निष्कर्षों पर ध्यान देगा। (भाषा)

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