देश के साथ ही दुनियाभर में कोरोनावायरस ने कोहराम मचा रखा है। दिन-प्रतिदिन के इसके संक्रमण की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है। कोरोनावायरस को लेकर नई रिसर्च भी सामने आ रही है। अभी नई रिसर्च हैरान करने वाली है। कोरोनावायरस से बचाव के लिए N-95मास्क और फेशशील्ड को कारगार माना जाता रहा है, लेकिन अभी एक रिसर्च में नई बात सामने आई है।
भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए एक शोध में यह चेताया गया है कि एक्सहेलेशन वॉल्व वाले मास्क के साथ ही फेसशील्ड पहनने के बाद भी कोरोनावायरस की चपेट में आने का खतरा रहता है। फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स एकेडेमिक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में एन-95 मास्क के बारे में बताया कि इसमें मौजूद एक्सहेलेशन वॉल्व की मदद से बड़ी संख्या में ड्रॉपलेट्स इनमें से होकर आप तक पहुंच सकते हैं।
रिसर्च में सामने आया है कि यदि कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता है, तो उसकी छींटों से निकलने वाले वायरस फेसशील्ड की दीवारों में घूमते रहते हैं। फ्लोरिडा अटलांटिक यूनीवर्सिटी (एफएयू) में सीटेक के निदेशक, प्राध्यापक, डिपार्टमेंट ऑफ चेयर मनहर धनक के मुताबिक समय के साथ ये ड्रॉपलेट्स सामने और पीछे की ओर दोनों ही दिशाओं में काफी बड़े पैमाने पर फैलते हैं। हालांकि अधिक समय होने से इनके असर में कमजोरी आती जाती है।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में एक लेजर लाइट शीट और ड्रॉपलेट्स के रूप में डिस्टिल्ड वॉटर व ग्लिसरीन का प्रयोग करते हुए पाया कि किसी के खांसने या छींकने से निकलने वाले ये ड्रॉपलेट्स सतह पर व्यापक पैमाने पर फैलते हैं।
रिसर्च के बाद सामने आया कि फेसशील्ड और एन-95 मास्क मिलकर भी कोरोना को रोकने की दिशा में उस हद तक कारगर नहीं हैं। ऐसे में बिना वॉल्व वाले आम मास्क का उपयोग ही कोरोनावायरस से बचने में कारगर उपाय है। (एजेंसियां)