बलिया (यूपी)। उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी के बाद अब बलिया और गाजीपुर जिलों में गंगा नदी के तट पर कई शव मिलने से सनसनी फैल गई और दहशतजदा लोगों द्वारा संदेह भी जताया जा रहा है कि यह कोविड-19 से जान गंवाने वालों की लाशें हैं। बलिया की जिलाधिकारी अदिति सिंह ने एक बयान जारी कर कहा है कि नरही थाना क्षेत्र के बलिया-बक्सर पुल के नीचे गंगा नदी में कुछ पुराने अज्ञात क्षत-विक्षत शव देखे गए। इस बीच केंद्र सरकार ने गंगा नदी में शवों को तैरते पाए जाने के बाद राज्यों को निर्देश दिया कि संदिग्ध कोविड-19 शवों का सुरक्षा प्रोटोकाल के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए। बिहार सरकार ने मंगलवार को कहा कि बक्सर जिले में गंगा से अब तक कुल 73 शव निकाले गए हैं
उन्होंने कहा कि उपजिलाधिकारी (सदर) एवं क्षेत्राधिकारी (सदर) द्वारा इसकी जांच की गई और सभी शवों को उचित तरीके से गंगा नदी के तट पर पुलिस एवं प्रशासन की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया।जिलाधिकारी के मुताबिक शवों के आने के स्रोत के संबंध में जांच की जा रही है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बिहार की सीमा पर स्थित नरही थाना क्षेत्र के गंगा नदी के तट पर सोमवार शाम से शव मिलने शुरू हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उजियार घाट, कुल्हड़िया घाट और भरौली घाट पर कुल 45 शव मिले हैं, हालांकि प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी संख्या की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। सूचना विभाग द्वारा जारी बयान में जिलाधिकारी अदिति सिंह ने शवों की संख्या की जानकारी नहीं दी है।
पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि उन्हें नही मालूम कि कुल कितने शव मिले हैं। उन्होंने बताया कि पुराने शव हैं और बिहार में शव को प्रवाहित करने की परंपरा है। घटनास्थल पर पहुंचे एक अधिकारी के अनुसार नदी तट पर हवा का रुख देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ये शव बिहार की तरफ से बहकर आए हैं। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में गरीब लोग ऑक्सीजन लेवल कम होने अथवा कोविड-19 से मौत हो जाने के बाद आर्थिक तंगी के कारण शवों को नदी में प्रवाहित कर देते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शव मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है।
गाजीपुर से मिली खबर के मुताबिक जिले के गहमर, बारा तथा बिहार के बक्सर जिला के चौसा में गंगा नदी में भारी संख्या में शव देखे गये हैं। गाजीपुर जिले से होती हुई गंगा नदी बिहार में जहां जाकर मिलती है, वहां उत्तरप्रदेश के गहमर, बारा गांव हैं जबकि बिहार प्रदेश के चौसा प्रखंड के गांव में गंगा प्रवेश करती है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक चौसा घाट पर तीन दर्जन से अधिक शव गंगा में किनारे लग जाने के बाद बदबू फैलने लगे तो बक्सर के जिलाधिकारी के आदेश पर चौसा प्रखंड पदाधिकारी अपने दल बल सहित गाजीपुर के सेवराई तहसील मुख्यालय पर आ पहुंचे और इसके बाद गाजीपुर का प्रशासन भी हरकत में आ गया।
उत्तरप्रदेश और बिहार के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से गंगा किनारे मौका मुआयना किया। बिहार के बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर तथा पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार सिंह ने गंगा घाट का मुआयना करने के बाद कहा कि पड़ोसी राज्य (उत्तरप्रदेश) से शव बहकर आ रहे हैं जबकि गाजीपुर के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कहा कि मामले की छानबीन करा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में शव नजर आने के बाद लोगों में दहशत फैल गई था और यह संदेह भी जताया गया था कि यह कोविड-19 से जान गंवाने वालों की लाशें हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने इस दावे को खारिज कर दिया था।
बिहार में गंगा से 73 शव निकाले गए : बिहार सरकार ने मंगलवार को कहा कि बक्सर जिले में गंगा से अब तक कुल 73 शव निकाले गए हैं जिनके कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों के शव होने की आशंका जताते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि संभवत: अंतिम संस्कार नहीं करके उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया गया होगा। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने मंगलवार को अपने ट्वीट में बक्सर जिले में चैसा गांव के पास इन शवों के गंगा नदी में मिलने की चर्चा करते हुए कहा कि 4-5 दिन पुराने क्षत-विक्षत ये शव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से बहकर बिहार आए हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतनी संख्या में शव बरामद होने और नदी में उन्हें प्रवाहित किए जाने से तकलीफ पहुंची है क्योंकि वह गंगा नदी की स्वच्छता और निर्बाध प्रवाह को लेकर हमेशा चिंतित रहे हैं और उन्होंने जिला प्रशासन को नदी किनारे गश्ति बढ़ाने को कहा है ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो। झा ने ट्वीट किया कि उत्तरप्रदेश और बिहार के सीमावर्ती रानीघाट में गंगा में जाल लगाया गया है। हमने उत्तरप्रदेश प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी है। हमारा प्रशासन भी सतर्कता बरत रहा है।
कई समाचार चैनलों ने दावा किया है कि ये शव उन कोरोना पीड़ितों के हैं जिनके परिवार के सदस्यों द्वारा गरीबी के कारण और संसाधन के अभाव में शव को छोड़ दिया गया या सरकारी कर्मी इस डर से कि वे स्वयं संक्रमण की चपेट में कहीं न आ जाएं, शवों को नदी में फेंक कर फरार हो गए। चौसा के प्रखंड विकास अधिकारी अशोक कुमार ने सोमवार को मृतक में से किसी के भी बक्सर जिला का निवासी होने से इनकार किया था।
एनएमसीजी ने दिया रोक लगाने का निर्देश : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने गंगा नदी में शवों को तैरते पाए जाने के बाद राज्यों को संदिग्ध कोविड-19 शवों का सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार करने तथा जिला गंगा समिति को गंगा नदी में शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने एवं निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है।
एनएमसीजी के एक अधिकारी ने बताया कि समाचारपत्रों/डिजिटल मीडिया में ऐसी खबरें आई कि कुछ स्थानों पर गंगा नदी में अज्ञात शवों को प्रवाहित किए जाने की खबरें आई हैं जिनके संदिग्ध कोविड पीड़ित होने की आशंका व्यक्त की गई है। इन शवों के बहकर गंगा नदी के किनारे आने से लोग स्तब्ध और भयभीत हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने राज्यों में जिला गंगा समिति से गंगा नदी में शवों को प्रवाहित करने पर तत्काल रोक लगाने एवं ऐसे संदिग्ध कोविड-19 शवों का उपयुक्त ढंग से प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया है। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने जिला गंगा समितियों के अध्यक्षों को लिखे पत्र में निर्देश में दिया है कि संदिग्ध कोविड पीड़ितों के अज्ञान/बिना दावे वाले शवों का कोविड-19 शव प्रबंधन पर भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप उपयुक्त ढंग से अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने अपने निर्देश में कहा है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत भारत सरकर की अधिसूचना के तहत एनएमसीजी का गठन किया गया था। इस अधिसूचना के पैरा 53 के तहत सभी प्रमुख शहरों में जिला गंगा समिति का गठन किया गया था और उन्हें कार्य आवंटित किये गए।
एनएमसीजी ने समिति को कहा है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में अज्ञान/बिना दावे वाले शवों को इस प्रकार से प्रवाहित करने से तत्काल रोका जाए। ऐसे शवों के निस्तारण के लिये मानक प्रक्रिया को साझा करें तथा शवों का उपयुक्त ढंग से अंतिम संस्कार किया जाए।
इसमें जिले की सीमा के भीतर नदी तट की सख्त निगरानी सुनिश्चित करने को कहा गया है और यह ध्यान देने को कहा गया है कि भविष्य में इस प्रकार से नदी में शवों को प्रवाहित करने की घटना पर रोक लगे। मिशन ने राज्यों को संदिग्ध कोविड-19 रोगियों के शव गंगा और उसकी सहयोगी नदियों में फेंके जाने के मामलों पर रोक के लिए सतर्कता सुनिश्चित करने को कहा। (भाषा)