नई दिल्ली। राजधानी में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामले भले ही बढ़ रहे हैं, लेकिन ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस माह अब तक 77 हजार से ज्यादा मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। ऐसा पहली बार है कि एक महीने से भी कम समय में इतने रोगी स्वस्थ हुए। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और समय पर संक्रमितों की पहचान से यह मुमकिन हो पाया है।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राजधानी में अब तक 2,32,912 लोग संक्रमण से उभर चुके हैं। इनमें से 77,234 इस माह ठीक हुए हैं। रोजाना औसतन 3500 मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। इससे दिल्ली की रिकवरी दर भी 84 फीसदी से बढ़कर 87 हो गई है।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक बेहतर चिकित्सा प्रबंधन से यह सफलता हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि ज्यादा जांच होने से संक्रमित मरीज ज्यादा मिल रहे हैं, लेकिन उतनी ही तेजी से रिकवर भी हो रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मरीजों की ट्रेसिंग रही है।
दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश नारायण (LNJP) में अब तक के देश के किसी भी दूसरे अस्पतालों की अपेक्षा सबसे अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि 17 मार्च से अब तक अस्पताल से करीब कोरोना के पॉजिटिव और निगेटिव 10,775 मरीज़ ठीक होकर घर जा चुके हैं। सिर्फ कोरोना पॉजिटिव मरीज़ जिनको इलाज कर भेजा जा चुका है, उनकी संख्या 8066 है।
डॉ. सुरेश का कहना है कि कई मरीज़ अस्पताल में भर्ती होते हैं उसके बाद दो से तीन दिन में उनकी रिपोर्ट आती है, वहीं निगेटिव आने वाले मरीजों की 2709 है। डॉ. सुरेश का कहना है कि अब तक अस्पताल में 1471 कोरोना मरीजों का डायलिसिस किया जा चुका है।
अस्पताल में अब तक कोविड पीड़ित गर्भवती महिलाओं की सफल डिलीवरी की संख्या की बात करें तो अब तक सीजेरियन डिलीवरी 143 महिलाओं की कराई जा चुकी है। इसके साथ ही नार्मल डिलीवरी की बात करें तो अब तक 174 महिलाओं की डिलीवरी एलएनजेपी में की जा चुकी है, जो कि ठीक होकर अपने घर जा चुकी हैं।
स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति के प्रोफेसर और डॉक्टर अंजली टेम्पे का कहना है कि अब 317 कोरोना पॉजिटिव महिलाओं की सफल डिलीवरी कराई जा चुकी है। इसमें से 3 से 4 बच्चों में ही कोरोना का संक्रमण पॉजिटिव पाया गया है। अधिकतर बच्चे स्वस्थ पैदा हो रहे हैं।
यह देखा गया है कि मां कोरोना पॉजिटिव है, लेकिन बच्चा निगेटिव पैदा होता है। जब पैदा होते ही बच्चा थोड़ी देर भी मां के आसपास रहता है, तो उसमें कोविड-19 होने का डर ज्यादा है।
डॉ. सुरेश का कहना है कि अब तक कोविड-19 से संक्रमित 415 बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है, जो कि ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। इनमें से ज़्यादातर बच्चों की उम्र 12 साल से नीचे है। एक 11 साल की बच्ची को कोरोना और डेंगू दोनों था। इसका सफल इलाज कर घर भेजा गया। अस्पताल की पीडियाट्रिक विभाग की प्रमुख डॉ. उर्मिला झांब ने बताया कि वयस्कों की तुलना में बच्चों पर इस वायरस का असर कम देखने को मिल रहा है। कोरोना का हल्का असर होने के कारण बच्चे जल्द ही ठीक हो जा रहे हैं।
415 कोविड-19 से संक्रमित बच्चों में से 70 से 80 बच्चे ही सीरियस हालत में एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती हुए थे। इनमें से कुछ बच्चों में टीबी की बीमारी भी सामने आई थी। बच्चों में मृत्यु दर की बात करें तो एलएनजेपी अस्पताल में सिर्फ 3 से 4 बच्चों की ही मौत हुई है। 12 साल तक के बच्चों के साथ अस्पताल में उनकी मां को रहने की अनुमति दी गई है।
अधिकारी के अनुसार मरीजों की पहचान सबसे बड़ी चुनौती हो सकती थी। अगर मरीज एक या दो नहीं, बल्कि चार या आठ दिन में पता चलते। इसमें काफी हद तक सहयोग लोगों का रहा, जिन्होंने आगे आकर अपनी जांच कराई या कंट्रोल रूम में कॉल करके मदद ली।