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Corona के स्वरूपों का विकसित होना टीकाकरण से बचने का कारण नहीं...

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, शनिवार, 28 अगस्त 2021 (19:00 IST)
यूनिवर्सिटी पार्क (अमेरिका)। कोरोनावायरस कोरोनावायरस (Coronavirus) कैसे विकसित होता है, टीके इस बात को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन यह बात आपके लिए टीका नहीं लेने का कारण कतई नहीं हो सकती है। चिकन वायरस पर 2015 के एक शोध पत्र (पेपर) में दिखाया गया था कि टीके वायरस के अधिक घातक रूपों को कुक्कुटों (चिकन) में फैलाने में सक्षम हो सकते हैं।

लेकिन यह नतीजा दुर्लभ है। केवल कुछ मामलों में ही मानव और पशु टीकों ने वायरस की उत्पत्ति को प्रभावित किया है। उन मामलों में से अधिकांश में वायरस ने रोग की गंभीरता में वृद्धि नहीं की। ऐसी काल्पनिक आशंका है कि कोविड-19 टीकों के परिणामस्वरूप वायरस के अधिक हानिकारक प्रकार सामने आ सकते हैं, लेकिन यह टीकाकरण से बचने का कोई कारण नहीं है। बल्कि यह टीकों के विकास को जारी रखने की आवश्यकता को दर्शाता है।

वर्ष 2015 में मेरे सहयोगियों और मैंने चिकन वायरस के बारे में एक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किया था जिसके बारे में आपने शायद कभी नहीं सुना होगा। उस समय, इस पर कुछ मीडिया का ध्यान गया था और बाद के वर्षों में अन्य वैज्ञानिकों द्वारा इसका हवाला दिया गया।
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लेकिन अब अगस्त 2021 के अंत तक इस पत्र को 3,50,000 से अधिक बार देखा जा चुका है और उनमें से 70 प्रतिशत लोगों ने पिछले तीन हफ्तों में इसे पढ़ा। यह एक यूट्यूब वीडियो पर भी दिखाई दिया है, जिसे 28 लाख लोग देख चुके हैं और यह सिलसिला जारी है।

कुछ लोग इस शोध पत्र के जरिए यह आशंका फैला रहे हैं कि कोविड-19 टीके और भी कुछ अधिक स्वरूपों को विकसित करने का कारण बनेंगे। डॉक्टरों ने मुझे बताया है कि मरीज इस पेपर का इस्तेमाल टीकाकरण न करवाने के अपने फैसले को सही ठहराने के लिए कर रहे हैं। कुछ लोग इसका उपयोग टीकाकरण अभियानों को समाप्त करने के लिए भी कर रहे हैं।

हमारे शोध पत्र में टीका विरोधी रुख को सही नहीं ठहराया गया है। अगर यह लोगों को टीकाकरण न करने का विकल्प चुनने का कारण बनता है, तो यह गलत व्याख्या है। टीकाकरण से बचने से नुकसान होगा। एक नए अध्ययन का अनुमान है कि मई 2021 की शुरुआत तक, टीकों के कारण अमेरिका में लगभग 1,40,000 लोगों को मरने से बचाया जा सका था।
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बीस से अधिक वर्षों से मैं सहयोगियों और सहकर्मियों के साथ काम कर रहा हूं कि कैसे टीके वायरस और मलेरिया जैसे रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं के विकास को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन कोविड-19 वायरस के संदर्भ में हमारा काम एक उचित प्रश्न का संकेत देता है : क्या टीकाकरण और भी हानिकारक रूपों के उद्भव का कारण बन सकता है।

वर्ष 2015 के पत्र में, हमने ‘मारेक रोग वायरस’ के स्वरूपों के साथ प्रयोगों की सूचना दी। इस वायरस को ‘चिकन वायरस’ नाम दिया गया जिस पर हम अध्ययन कर रहे थे। यह एक हर्पीसवायरस है जो घरेलू कुक्कुटों में कैंसर का कारण बनता है।

मारेक रोग वायरस से संक्रमित कुक्कुट 10 दिनों के बाद वायरस को फैलाने में सक्षम हो गए। अपनी प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों में, हमने मारेक रोग वायरस के स्वरूप पर काम किया जो इतना घातक था कि वह 10 दिनों या उससे कम समय में सभी टीका रहित पक्षियों को मार सकता था।

इसलिए टीके से पहले ही उन पक्षियों की मौत हो गई। लेकिन हमने पाया कि पहली पीढ़ी के टीके ने पक्षियों को मरने से बचाया। कोविड-19 के मामले में यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि टीकाकरण वाले लोग भी डेल्टा स्वरूप से संक्रमित हैं और उसे फैला सकते हैं।
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यदि कोरोनावायरस के अधिक घातक रूप उत्पन्न होते हैं, तो कम टीकाकरण दर से उन्हें पहचानना और उन्हें नियंत्रित करना आसान हो जाएगा क्योंकि असंक्रमित लोगों को अधिक गंभीर संक्रमण और उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ेगा। लेकिन इस तरह का यह समाधान काफी महंगा साबित होगा।
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असल में लोगों को बीमार होने देने पर स्वरूप ढूंढे और समाप्त किए जाएंगे, तो कई लोगों की मौत हो जाएगी। वायरस के स्वरूपों ने भले ही टीकाकरण के लाभ को कम किया हो, लेकिन लाभों को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया है। वायरस के स्वरूपों का विकसित होना टीकाकरण से बचने का कोई कारण नहीं है।(द कन्वरसेशन)

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