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Ground Report : ऑस्ट्रिया की खूबसूरती पर कोरोनावायरस का ग्रहण, अर्थव्यवस्था पटरी पर

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डॉ. रमेश रावत

, शनिवार, 13 जून 2020 (09:12 IST)
कोरोनावायरस (Coronavirus) के काल में जब पूरी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था पर संकट मंडरा रहा है, वहीं ऑस्ट्रिया में अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट रही है। यूरोप के सबसे खूबसूरत इस देश में तीन महीने से पर्यटन ठप है एवं आगे भी इससे जुड़े व्यवसायों पर असर रहने वाला है। आखिर कोरोना काल ऑस्ट्रिया में रह रहे लोगों की लाइफ स्टाइल में क्या परिवर्तन आया और अर्थव्यवस्था से लेकर समाज के ताने-बाने पर वहां क्या असर पड़ा, यही बता रहे हैं एनएक्सपी सेमीकंडक्टर्स में कार्यरत वरिष्ठ परीक्षण इंजीनियर रीता खटवानी एवं वरिष्ठ उत्पाद प्रबंधक आकाश थडानी। दोनों ही पति-पत्नी हैं और वेबदुनिया से बातचीत में उन्होंने सभी मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखे। 
 
रीता खटवानी एवं आकाश थडानी ने बताया कि कोरोना के बाद हमारी जीवन शैली में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह आया कि स्वास्थ्य के प्रति हम काफी जागरूक हुए। खान-पान से लेकर व्यायाम तक का हमने खास ध्यान रखा। चूंकि इस अवधि में बाहर के भोजन से परहेज है, इसलिए घर में ही तरह-तरह के व्यंजन बनाए। बागवानी, साइकिल चलाना आदि काम भी किए। हालांकि अब यहां फूड सेंटर खुल गए हैं। सबसे खास बात यह है कि हमने अपनी बेटी के लिए ज्यादा वक्त निकाला। उसके व्यवहार और विकास में हो रहे परिवर्तन को हम करीब से देख पा रहे हैं। बेटी को अभी घर से ही सिखा रहे हैं। पेंटिंग, पहेली बनाना आदि के माध्यम से उसे व्यस्त रखने की कोशिश कर रहे हैं। 
 
3 साल की बेटी ने बाहर जाने से रोका : रीता बताती हैं कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में ऑस्ट्रिया में हर जगह लॉकडाउन था। सिर्फ जरूरी वस्तुओं की खरीददारी की अनुमति थी। इस दौरान मेरे पति घरेलू सामान खरीदने के लिए सुपर मार्केट जाने की योजना बना रहे थे। इसी समय अचानक हमारी तीन साल की बेटी ने उन्हें रोक दिया। उसने कहा कि बाहर कोरोना फैला हुआ है। घर में रहना ही सुरक्षित है। उसने कहा कि जब पुलिस कोरोना को हटा देगी तब हम घर से बाहर जाएंगे। बेटी की इस नसीहत को हमने वीडियो में भी कैद कर लिया। 
 
रीता कहती हैं कि कोरोना के कारण मेरी फिजियोथैरेपी नियुक्ति एवं प्रशिक्षण रद्द हो गया। बेटी का जन्मदिन नहीं मना सके। पति को व्यापारिक यात्रा रद्द करनी पड़ी। घर दफ्तर बन गया है, जो लॉकडाउन के बाद भी जारी रहने वाला है। कंपनी की साइट पर वे ही लोग जा रहे हैं, जिन्हें लैब की आवश्यकता होती है। बाकी सबको घर से काम करने के लिए कहा गया है। ईमेल और वेबीनार के माध्यम से सभी कर्मचारी अपडेट हो रहे हैं। 
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पड़ोसी देशों की मदद : ऑस्ट्रिया ने न सिर्फ इस महामारी को बहुत अच्छे से नियंत्रित किया है बल्कि आपदा के इस दौर में पड़ोसी देशों को हास्पिटल बेड एवं वेंटीलेटर देकर मदद की। यहां जन-जीवन सामान्य हो रहा है। फिर भी लोग स्वच्छता एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रख रहे हैं। बाहर से आने के बाद तुरंत हाथ-मुंह धोते हैं एवं कपड़े बदलते हैं। सुपर मार्केट में शॉपिंग कार्ट को साफ करते हैं फिर दुकान में ले जाते हैं। लिफ्ट में भी हम अपनी कोहनी का इस्तेमाल करते हैं। 
 
गूगल अनुवाद का सहारा : यहां पर अधिकतर अखबार एवं मीडिया चैनल जर्मन भाषा में हैं। यह हमारे जैसे गैर जर्मन के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए हमने गूगल अनुवाद का सहारा लिया है। यहां सरकार ने जागरूकता फैलाने के लिए शानदार काम किया है और पहली बार हमने देखा है कि मीडिया में सरकारी संदेश की सराहना हो रही है। यहां टीवी, समाचार चैनल, समाचार-पत्रों, रेडियो, स्थानीय टीवी चैनल पर एपीसोड के रूप में सरकार के संदेश प्रसारित किए जाते हैं। इसके साथ ही मीडिया माध्यमों में इटली, फ्रांस, स्पेन जैसे देशों में संक्रमण के भयानक रूप से सीख लेने की बात भी कही जा रही है ताकि ऑस्ट्रिया में लोग इस तरह की गलती न करें। यहां फेक न्यूज एवं अफवाहें देखने को नहीं मिलीं। हमारा मानना है कि लोगों को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए, ताकि वे बीमारी से लड़ सकें। 
 
राजनीतिक स्थिति : आकाश ने बताया कि ऑस्ट्रिया एवं भारत में सरकारी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिला। ऑस्ट्रिया में विपक्ष ने सरकार के फैसले का समर्थन किया एवं कोविड के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी, वहीं भारत में ऐसा दिखाई नहीं दिया। हालांकि आलोचना अच्छी बात है, लेकिन इसमें सुझाव भी आने चाहिए। यहां सरकार ने लोगों से जुड़ने की कोशिश की। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि कोरोना के आने से पहले हम इससे लड़ने के लिए तैयार रहें। दोनों ने ही भारत में कोरोना से लड़ने के प्रयासों की सराहना की।  
 
सरकार के पास सभी लोगों का डाटा : रीता-आकाश बताते हैं कि सबसे पहले यहां सरकार ने मार्च के दूसरे सप्ताह में पहला लॉकडाउन लगाया। बुजुर्गों को कोविड के किसी भी प्रकार के जोखिम से दूर रखने की हिदायत दी। सरकार ने सुनिश्चित किया कि यदि कोई मकान मालिक को किराया नहीं दे पाता है तो उसे घर से बाहर नहीं निकाला जाएगा। उन्हें भुगतान के लिए 6 से 12 महीने तक का अतिरिक्त समय दिया गया। यहां यह संभव इसलिए भी संभव हुआ कि सरकार ने यहां पर प्रत्येक व्यक्ति से इसकी जानकारी भी मांगी थी।
 
इस जानकारी में कौन कितना कमाता है। किस प्रकार का कर दे रहा है। कितने किराए का भुगतान कर रहा है। यह विवरण केन्द्रीय डाटाबेस प्रणाली के तहत संग्रहीत भी किया गया। सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को देश के हर कोने में पहुंचाने एवं सप्लाई के लिए भी कारगर कदम उठाए। यहां अस्पताल में कोरोना संक्रमित या लक्षण वाले हर व्यक्ति की संपूर्ण जांच कर एवं उसके संबंध में जल्द से जल्द घोषणा भी की जाती है। 
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एकता में अटूट शक्ति : यूरोप एवं इटली में कोरोना के संक्रमण का सर्वाधिक प्रभाव रहा है। इसके साथ ही ऑस्ट्रिया इनके बिल्कुल नजदीक होने के कारण हाई रिस्क पर था। मेरे एक सहकर्मी ने एक इटली के नागरिक के साथ कमरा साझा किया हुआ है जो कि इटली के अपने गृह नगर से आया ही था। इसके लिए उस सहकर्मी को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर दिया गया। कोरोना संक्रमण से प्रभावित हर देश को सकारात्मक आशा रखनी चाहिए एवं इससे लड़ते हुए बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए। 
 
आकाश मानते हैं कि अमेरिका एवं चीन दोनों ही स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल सकते थे, लेकिन दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेलते रहे। चीन को कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जल्द आगे आना चाहिए था, वहीं अमेरिका ने कोरोना वायरस को बहुत ही हल्के में लिया। यही कारण रहा कि अमेरिका कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित हुआ।
 
अर्थव्यवस्था पटरी पर : मैं यह देखकर हैरान हूं कि यहां चीजें पहले की तरह ही सामान्य होती जा रही हैं। अर्थव्यवस्था फिर से ठीक हो रही है। सभी दुकानें खुलने लगी हैं, लेकिन अभी भी सरकार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर कड़ी निगरानी रखे हुए है। जो संस्थान घर से ही काम करने के लिए समर्थ हैं, उन्हें वर्क फ्रॉम के लिए कहा जा रहा है। नौकरियों पर इनका कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं है, क्योंकि जो नौकरी खो चुके हैं उन्हें सरकार से आवश्यक बेरोजगारी लाभ मिल रहा है।
 
80 फीसदी लोग देते हैं टैक्स : यहां 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या करों का भुगतान करती है। इसके साथ ही सरकार भी उनकी व्यक्तिगत आय के बारे में जानकारी रखती है। हालांकि ग्लोबल लेवल पर स्लोडाउन के कारण ऑस्ट्रिया पर प्रभाव से पूरी तरह नकरा नहीं जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया 2 से तीन साल तक पीछे चली गई है। हालांकि लॉकडाउन के नियमों के कारण आवाजाही में हुई कमी के चलते अपराध का प्रतिशत काफी नीचे चला गया है। यहां मई के अंत तक जीडीपी में 4 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। बेरोजगारी का अनुमान 2 से तीन प्रतिशत का था जो कि 10 प्रतिशत तक हो गया। 
 
पर्यटन हुआ चौपट : ऑस्ट्रिया यूरोप के सबसे खूबसूरत देशों में से एक है। वास्तव में यह स्विट्‍जरलैंड की तुलना में भी अधिक सुंदर है। चाहे आप स्की के लिए विंटर्स में जाएं या सुंदरता के लिए स्प्रिंग्स में या फिर लंबी पैदल यात्रा और तैराकी के लिए समर में, पर्यटन हमेशा ऑस्ट्रिया में आकर्षण का केन्द्र रहा है।
 
कोरोना के चलते पिछले तीन महीनों से यहां पर्यटन चौपट हो चुका है। सरकार धीरे-धीरे पर्यटन केंद्र खोल रही है, लेकिन यहां पर लोग पर्यटन स्थलों पर कोरोना संक्रमण के जोखिम की वजह से जाने से डर रहे हैं। इसलिए पिछले साल की तुलना में यहां पर पर्यटन में करीब 80 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इसका रेस्टोरेंट, पब, प्रशिक्षण, स्वीमिंग पुल आदि पर भी असर होगा। 
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ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव : कोविड के कारण ग्रामीण क्षेत्र अधिक प्रभावित रहेंगे। इसका प्रमुख कारण आराम के लिए शहरी क्षेत्र से लोगों का पलायन गांवों की तरफ हो रहा है। इसके चलते आर्थिक रूप से भी ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ने वाला है। हालांकि यहां पर करीब 3 महीने के लॉकडाउन के बाद में सार्वजनिक स्थान, मॉल, रेस्टोरेंट आदि फिर से खुल गए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से सभी दुकानों के प्रवेश एवं निकास द्वार पर दोनों ओर सैनिटाइजर डिस्पेंसर स्थापित किए गए हैं। 
 
कोरोना सबक : ऑस्ट्रिया में कोरोना संक्रमण की दस्तक के साथ ही युद्ध स्तर पर इस पर काबू पाने के लिए काम हुआ। इसके चलते यहा पर 16000 से अधिक लोगों के संक्रमण हो जोने के बाद इनमें से 15000 से ज्यादा लोग पूरी तरह ठीक भी हो गए। करीब 400 एक्टिव केस ही वर्तमान में रह गए हैं। इस सफलता को श्रेय यहां की सरकार को देना होगा।
हमारा मानना है कि हमें पिछली गलतियों से सीखना चाहिए। बेहतर भविष्य के लिए अपनी जीवन शैली को बदलना चाहिए। हो सकता है कि कोविड हमें एक सबक सिखाने ही आया है, इसे हमें बिलकुल भी नहीं भूलना चाहिए।

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