ऋषिका भावसार
देशभर में मिठास और अलग ही फ्लेवर के लिए पहचाने जाने वाले गुजरात के केसर आम की फसल को ताउते तूफान ने पूरी तरह नष्ट कर दिया है। तूफान से पहले 15 दिन लगातार फुहारें आ रही थीं, जिनसे आम को कुछ-कुछ हानि हो रही थी। लेकिन, तूफान ने आम के पेड़ों को इतना नुकसान पहुंचाया है कि आने वाले दो वर्ष तक बचे हुए पेड़ फल न दे सकेंगे।
जड़ से उखड़ गए पेड़ : सौराष्ट्र के 13 हजार 800 हेक्टेयर में लगा आम का बगीचा पूरी तरह नष्ट हो गया है। 100 से 150 किलोमीटर की गति से चली आंधी और फिर बारिश ने आम के हजारों पेड़ जड़ से उखाड़ दिए हैं। सरकारी अनुमान है कि यहां 60 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। आम की पैदावार पर जीवनयापन करने वाले किसान बर्बाद हो चुके हैं।
हर तरफ तबाही का मंजर : सौराष्ट्र में ही तलाला पंथक इलाके में 13 हजार 900 हेक्टेयर में लगाए हुए 15 लाख से ज्यादा आम के पेड़ों को तूफान ने चपेट में लिया है। जहा- जहां तक नजर जाती है, तबाही का मंजर दिखता है। ज्यादातर पेड़ उखड़ गए हैं, अब किसानों को इनके स्थान पर दूसरे पौधे लगाकर उनके पेड़ बनने तक इंतजार करना पड़ेगा।
अमरेली-जूनागढ़ में ज्यादा हानि : आम की फसल को अमरेली, गिर, जूनागढ़ तथा सोमनाथ में भारी हानि हुई है। जूनागढ़ के अलावा विसावदर, मेंदरडा, माड़ियाहाटी क्षेत्र में भी आम का उत्पादन भरपूर होता है। यहां भी बारिश और तूफान ने तबाही मचाई। वैसे भी केसर केरी की फसल वर्ष में एक बार ही आती है।
नारियल व केला भी तबाह : गुजरात में आम की फसल ही बर्बाद नहीं हुई है, नारियल और केले की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। इनकी फसल भी पूरी तरह चौपट हो गई है। इसके अलावा बाजरा, तिल, उड़द तथा मूंग की फसल भी उजड़ गई है। किसानों ने सरकार से मदद की मांग की है।