Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Ground Report:गांवों में जांच का डर,लापरवाही और घर लौटे प्रवासी बने कोरोना के सुपर स्प्रेडर

गांव में खांसी-बुखार का कहर फिर भी कोरोना की टेस्टिंग कराने से बच रहे है लोग

हमें फॉलो करें Ground Report:गांवों में जांच का डर,लापरवाही और घर लौटे प्रवासी बने कोरोना के सुपर स्प्रेडर
webdunia

विकास सिंह

, सोमवार, 10 मई 2021 (16:00 IST)
कोरोना की दूसरी लहर में शहरों में मौत का तांडव होने के बाद अब गांवों में हालात विस्फोटक हो गए है। कोरोना की पहली लहर में अछूते रहे गांव अब कोरोना के नए हॉटस्पॉट के रुप में उभर कर सामने गए है। जहां एक तरफ शहरों में कोरोना के नए मरीजों की संख्या थम नहीं रही है तो वहीं दूसरी तरफ गांवों में फैल रहे कोरोना ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

गांवों में कोरोना को लेकर कैसे बने हैं हालात,इसकी जमीनी हकीकत जाने के लिए ‘वेबदुनिया’ ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के कई जिलों के गांवों के लोगों से बात कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया। गांवों में कोरोना को लेकर किस कदर भ्रम,डर और लापरवाही है, इसको छतरपुर जिले की गौरिहार ब्लॉक के महुई ग्राम पंचायत के सचिव मुखबिंद पाठक से हुई बातचीत में आसानी से समझा जा सकता है।

'वेबदुनिया' से बातचीत में मुखबिंद पाठक कहते हैं कि गांवों में इस समय बुखार आने की सबसे ज्यादा समस्या है, किसी को पांच दिन से आ रही है, तो कोई दस दिन से खांसी बुखार से पीड़ित है,इसके बावजूद भी लोग कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे हैं। जो लोग शहरों से गांवों में आए, उन्होंने भी टेस्ट नहीं कराया। गांव के ही झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं। जो बोतल और इंजेक्शन से बुखार के ठीक होने का दावा भी कर देते हैं। लोगों में जागरूकता न होने से ये लोग नजदीकी सरकारी अस्पतालों में भी नहीं जाते हैं। ज्यादा से ज्यादा मेडिकल स्टोर से दवाई खरीद लेते हैं। हालात ये हैं कि गांव के लोग कोरोना टेस्ट से सौ कोस दूर भागने की कोशिश करते हैं। 
 
वह आगे कहते हैं कि इस बार का कोरोना इतना खतरनाक है कि मै भी नहीं बच सका कोरोना से,जबकि हम तो शहरों से कोसों दूर हैं। अगर मैं अपनी बात कहूं तो मुझे आठ-दस दिनों से खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ हो रही थी,गले में दर्द भी होता था। घर के सभी सदस्य भी डरे हुए थे की कहीं जांच कराने पर कोरोना पॉजिटिव न हो जाऊं। इसी डर से मैं भी लोकल के डॉक्टरों से इलाज करवा रहा था कि शायद नॉर्मल होगा लेकिन जब डॉक्टर को पूरे लक्षण बताए तो डॉक्टर ने कोरोना जांच करवाने का बोला और मैं आरटी-पीसीआर टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव निकला। 
 
तो वहीं गौरिहार ब्लॉक में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर.रामचन्द्र द्विवेदी कहते हैं कि हर दिन हमारे पास गांव से ही पेशेंट आ रहे हैं,ज्यादातर लोग बुखार की समस्या लेकर आ रहे हैं, जिनका इलाज हम कर देते हैं,लेकिन लक्षण जरा से भी कोराना के दिखते हैं तो हमारी सलाह यही रहती है कि आप अस्पताल में अपना चेकअप कराएं। गांव के ज्यादातर लोग कोरोना पॉजिटिव और पैसा खर्च के डर से अस्पताल जाना झंझट मानते हैं।
 
गांवों में कोरोना कैसे फैला इसको लेकर छतरपुर जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी कहती हैं कि पहली लहर में गांव कोरोना की चपेट में आने से बच गए थे लेकिन इस बार सरकार की गलतियों और लोगों की लापरवाही से कोरोना गांव तक पहुंच गया।
 
छतरपुर के रहने वाले और पत्रकारिता के छात्र पिंटू अवस्थी कहते हैं कि अब जब गांवों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है तब भी लोग कोरोना की जांच में लापरवाही कर रहे है। सरकार गांव को लेकर कई तरह के दावे कर रही है लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता है। यदि गांव में कोरोना ने अपने पैर पसार लिए तो ये खतरे की घंटी होगी। लगभग दो महीने बाद खरीफ फसल की बुआई शुरू हो जाएगी लेकिन यदि गांवों में कोरोना संक्रमण फैला तो इसका सीधा असर खेती पर पड़ेगा और स्थिति भयावह स्थति पैदा हो जाएगी।
webdunia
गांव लौटे प्रवासी बने कोरोना के सुपरस्प्रेडर-वहीं उपचुनाव वाले जिले दमोह में बाहर से आने वाले लोगों ने संक्रमण इस कदर फैलाया कि अब हालात बद से बदतर हो गए है। जिले के हिंडोरिया गांव के शिक्षक सतेंद्र सिंह बताते हैं शहरों से गांव में आने वाले लोग न तो क्वारेंटाइन हुए हैं और न ही उनकी टेस्टिंग हुई है, ये लापरवाही तो गांवों में हो रही है। हालांकि कोराना से हो रही मौतों को देखकर गांव के लोगों में भी डर है, लेकिन इसके बाद भी गांव के लोग हल्की सर्दी और बुखार को मौसमी बीमारी बता रहे हैं। गांव के लोग अपने बुखार को साधारण दवाओं का खाकर ठीक करने का दावा भी करते है। ऐसा नहीं ही कि गांव के लोग कोरोना से डर नहीं रहे हैं, बिल्कुल डर रहे हैं लेकिन तरह-तरह के भ्रम से वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं और अस्पतालों में भी जाने से बहुत डर रहे हैं।
 
शादियों ने बढ़ाया संक्रमण-वहीं सागर के शाहगढ़ तहसील के रहने वाले हिमांशु विश्वकर्मा कहते हैं गांवों में शादियों के  चलते कोरोना संक्रमण काफी बढ़ा। प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले हिमांशु कहते हैं कि प्रेस बंद है लेकिन कई गांवों से शादी कार्ड छपवाने के ऑर्डर आ रहे हैं। सौ कार्ड से कम कोई नहीं ऑर्डर देता है, लेकिन फिर भी गांव की शादियों में सौ से कहीं ज्यादा लोग इकट्ठे हो जाते हैं। शादियों में न तो लोग एक दूसरे से दूरी बनाते हैं और न ही मास्क पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
 
शाहगढ़ तहसील में आने वाले बरायठा गांव में दिल्ली जैसे शहरों से आए लोग जो पॉजिटिव भी निकले हैं, लेकिन न तो कोई ट्रीटमेंट ले रहे हैं,न ही क्वारेंटाइन हुए, ये अकेले नहीं हैं, तमाम ऐसे लोग हैं जो कोरोना पॉजिटिव होने के बाद न दवाई लेते हैं और न ही होम आईसोलेट होते हैं। हालांकि गांव के छात्रावास में कोविड सेंटर भी बनाए गए हैं। फिर भी लापरवाही इतनी है कि बीमार लोग बिना किसी रोक-टेक के गांव में घूमते हैं।
webdunia

गांवों को लेकर अलर्ट हुई सरकार-वहीं गांवों में कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सरकार अब अलर्ट हो गई है। ब्लॉक और गांव स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का गठन करने के  लिए गृह विभाग ने निर्देश जारी कर दिए है। इसके साथ गांव में समिति बनाकर सचिव, रोजगार सहायक, आशा-उषा कार्यकर्त्ताओं द्वारा घर-घर जाकर लोगों का कोराना टेस्ट किया जाएगा, जो पॉजिटिव होगा उसे गांव के स्कूल में बनाए गए कोविड सेंटर में रखा जाएगा। 

वहीं शिवराज सरकार में सागर से आने वाले वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव ने अपने क्षेत्र के लोगों से अपील करते हुए कहा कि गांवों में कोरोना व्यापक रुप से फैल चुका है लेकिन ठीक जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग काम चलाऊ दवाई लेकर घरों में ही पड़े रहते है और हालत गंभीर होने पर अस्पताल की ओर भागते है। उन्होंने लोगों से कोरोना के थोड़े से लक्षण होने पर ही कोरोना जांच कराने की अपील की है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अहमदाबाद में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार