जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि विश्व अभी कहीं भी कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने जैसी स्थिति में नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 20 से लेकर 40 साल के लोगों के जरिए कोरोनावायरस फैल रहा है। सबसे चिंता की बात यह है कि इन लोगों को पता ही नहीं है कि वे संक्रमित हैं। ऐसे लोग बुजुर्गों व रोगियों जैसे जोखिम वाले समूहों के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वैश्विक आबादी के 10 प्रतिशत से भी कम लोगों में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी होने के प्रमाण हैं।
कोविड-19 को लेकर बनाई गई डब्ल्यूएचओ की प्रौद्योगिकी इकाई की प्रमुख मारिया वान केरखोव ने मंगलवार को वर्चुअल ब्रीफिंग में यह बात कही। मारिया ने कहा कि मैं इसे सामान्य नहीं कहूंगी, लेकिन अब तक प्राप्त जानकारी के अध्ययन के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि दुनिया की 10 प्रतिशत से भी कम आबादी में सार्स कोव-2 से लड़ने वाले एंटीबॉडी मौजूद हैं।
कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर उच्च जोखिम वाले समूहों, उदाहरण के तौर पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे स्वास्थ्यकर्मियों में सीरो प्रेवलेंस की दर काफी अधिक है। कुछ इलाकों में यह दर 20 से 25 प्रतिशत तक है।
विशेषज्ञों के अनुसार डब्ल्यूएचओ इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कोविड-19 के खिलाफ मानव के शरीर में विकसित हुई प्रतिरोधक क्षमता और एंटीबॉडी कितने समय तक बरकरार रहते हैं। इसके अलावा यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता और इससे गंभीर रूप से बीमार हुए लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में क्या अंतर है और दोनों ने सार्स कोव-2 से किस तरह से लड़ाई लड़ी।
डब्ल्यूएचओ की अधिकारी ने कहा कि अभी हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कोरोनावायरस के खिलाफ किस तरह से काम करती है।
हर्ड इम्यूनिटी के लिए टीके की जरूरत : सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्यूनिटी) विशेष तौर पर टीकाकरण के माध्यम से हासिल की जाती है और अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में घातक विषाणु को शिकस्त देने वाली एंटीबॉडीज होनी चाहिए, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधी आबादी में भी कोरोनावायरस से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता हो तो एक रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस एलवार्ड ने कहा कि किसी कोविड-19 टीके के साथ व्यापक टीकाकरण का उद्देश्य विश्व की 50 प्रतिशत से काफी अधिक आबादी को इसके दायरे में लाने का होगा। (एजेंसियां)