मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सभी विमान कंपनियों को अनुमति दी कि वे विमानों के अंदर बीच की सीट पर यात्रियों को बिठा सकेंगे, लेकिन साथ ही कहा कि उन्हें कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की पीठ ने एयर इंडिया के पायलट देवेन कनानी की तरफ से दायर याचिका में उठाई गई आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने कहा था कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू उड़ानों में बीच की सीट खाली छोड़ी जानी चाहिए।
अदालत ने कहा, प्रथम दृष्ट्या हमारा मानना है कि विमान में अगर बीच की सीट खाली नहीं भी छोड़ी जाती है तो भी यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का कोविड-19 वायरस के संदर्भ में खयाल रखा जाना चाहिए।अदालत ने विमानों में बीच की सीट पर यात्रियों को बिठाने की अनुमति दे दी लेकिन कहा कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए डीजीसीए की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
डीजीसीए ने 31 मई को जारी सर्कुलर में कहा कि विमान संचालकों को बीच की सीट खाली छोड़ने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन अगर सभी सीटें बुक हो जाती हैं तो यात्री को पूरे शरीर को ढंकने वाले वस्त्र के अलावा मास्क और फेस शील्ड मुहैया कराना चाहिए।
सर्कुलर में बताया गया कि संभव हो तो एक ही परिवार के लोगों या समूह में यात्रा करने वालों को बीच की सीट दी जा सकती है। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि नागर विमानन मंत्रालय की विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय समिति ने इस सुझाव को खारिज कर दिया था कि यात्रियों के बीच की सीट खाली रखी जानी चाहिए।(भाषा)