नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमित गर्भवती आदिवासी महिला को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार कर दिया। महिला ने अस्पताल के द्वार पर बच्चे को जन्म दिया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने इस मामले में तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया है।
एक फरवरी को जारी नोटिस में आयोग ने राज्य से नोटिस मिलने के 7 दिनों के भीतर इस मामले में लगे आरोपों के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट सौंपने को कहा है। नोटिस में कहा गया कि आयोग ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच करने का निर्णय किया है।
मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक, एक सरकारी अस्पताल ने प्रसव के लिए पहुंची गर्भवती आदिवासी महिला के संक्रमित पाए जाने के बाद कथित तौर पर भर्ती नहीं किया। गर्भवती के परिवार को अस्पताल के बाहर इंतजार करने का मजबूर किया गया, जहां महिला ने अपनी बहन की मदद से बच्चे को जन्म दिया।
वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए शोध में यह सामने आया है कि हल्के से मध्यम लक्षण होने पर गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के मस्तिष्क पर असर नहीं पड़ता है।
हालांकि गर्भवती महिलाओं को विशेषज्ञों द्वारा खान-पान अच्छा रखने की सलाह दी, तनाव मुक्त रहे, जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले, हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, मास्क का उपयोग करें, डॉक्टर की सलाह से योग प्राणायाम करें। इस तरह खुद को तनाव मुक्त रखें।