लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (King George Medical University) में प्लाज्मा बैंक खुल गया है और संस्थान का दावा है कि यह देश का पहला सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक है, जहां 830 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकता है।
किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU) के शताब्दी भवन में ब्लड बैंक के पास प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया है। यहां से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक संस्थान में कोरोना को हरा चुके 45 योद्धा प्लाज्मा दान कर चुके हैं और 25 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया भी जा चुका है। इस प्लाज्मा बैंक ने काम करना आरंभ कर दिया है।
केजीएमयू में किसी कोरोना रोगी पहली बार 27 अप्रैल को प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी। यह रोगी उरई के एक 58 वर्षीय डॉक्टर थे। इनको प्लाज्मा देने वाली कनाडा की एक महिला डॉक्टर थी और वे केजीएमयू में भर्ती हुई थीं लेकिन दुर्भाग्यवश 9 मई को दिल का दौरा पड़ने और किडनी फेल होने से डॉक्टर की मौत हो गई थी।
केजीएमयू के ब्लड ट्रांस्फ्यूजन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने सोमवार को बताया कि उप्र के इस पहले प्लाज्मा बैंक में देश में सबसे अधिक 830 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकेगा। बैंक में प्लाज्मा को सुरक्षित संग्रह करने के सभी संसाधन उपलब्ध हैं। बैंक में उपलब्ध प्लाज्मा प्रदेश के दूसरे जिलों के अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों को भी आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि केजीएमयू में 1 दिन में 120 लोग प्लाज्मा दान कर सकेंगे, इसके लिए प्लाज्मा फेरेसिस मशीनें लगाई गई हैं। 1 व्यक्ति से प्लाज्मा संग्रह करने में करीब 1 घंटे का वक्त लगता है तथा डीप फ्रीजर में करीब 1 साल तक प्लाज्मा सुरक्षित रखा जा सकेगा। तुलिका ने कोरोना से ठीक हो चुके लोगों से अपील की कि वे प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आएं ताकि गंभीर कोविड-19 रोगियों की जान बचाई जा सके।
उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद तक प्लाज्मा दान कर सकते हैं और इसके अलावा ऐसे मरीज जिनमें जांच के बाद एंटीबॉडी मौजूद मिले, वे भी प्लाज्मा दान कर सकते हैं। (भाषा)