कोरोना बचने के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंस पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन अब एक और कारण है जिसकी वजह से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। एक वजह है दाढ़ी रखना। कई बार लोग निजी या धार्मिक वजहों से दाढ़ी बढ़ाते हैं, जिससे मास्क चेहरे पर ठीक से फिट नहीं हो पाता।
इसलिए अब दाढ़ी रखने वाले लोग जरा सावधान हो जाए। अगर वे लोग सिर्फ मास्क लगाकर निश्चिंत नहीं हो सकते। इसकी वजह से चाहे N-25 रेस्पिरेटर हो या सर्जिकल मास्क, कुछ भी चेहरे को उस तरह से कवर नहीं कर पाता, जो संक्रमण से बचा सके।
2017 में इस पर सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने शोध किया। इसके नतीजे बताते हैं कि चेहरे पर बालों की वजह से मास्क अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाता है।
दरअसल, वायरस नाक के जरिए श्वसन नाल से होते हुए शरीर में पहुंचते हैं और फेफड़ों से होते हुए सारे शरीर में फैल जाते हैं। वहीं मास्क पहनने पर मास्क की परतें हवा के लिए छलनी का काम करती हैं और फिल्टर होकर हवा हमारी नाक के भीतर पहुंचती है। ये अपेक्षाकृत ज्यादा साफ होती है। वहीं मास्क की खासियत होती है कि इसमें लीकेज नहीं होती है। यानि सांस लेते वक्त किनारों से हवा नहीं प्रवेश करती है, जिससे जर्म्स प्रवेश नहीं कर पाते
कई बार दाढ़ी रखने वालों को ये भ्रम होता है कि उनके चेहरे पर बालों की वजह से भी हवा फिल्टर हो रही है। शोध इसे गलत बताता है। बाल कभी भी मास्क का काम नहीं कर सकते। बल्कि मास्क लगाने पर ये मास्क की रेस्पिरेटर सील और चेहरे के बीच आकर सील को ढीला कर देते हैं। ये आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन इसकी वजह से मास्क में लीकेज का डर 20 से 1000 गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे में बीमार व्यक्ति अपने संपर्क में आने वाले सारे लोगों को संक्रमित करता जाता है। या फिर स्वस्थ लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमित हो जाते हैं।
चेहरे पर जितने कम बाल होंगे, मास्क उतनी ही अच्छी तरह से फिट हो सकेगा। अधिकतर लोगों को मास्क पहनना नहीं आता है और अगर दाढ़ी या मूंछों के साथ मास्क लगाया जाए तो रेस्पिरेटर सील से लीकेज का खतरा एकदम से बढ़ जाता है।
जबकि ठीक ढंग से फिट होने पर ये हवा से फैलने वाली बहुत सी बीमारियों से बचा सकता है। इसलिए बेहतर है जब तक कोरोना का खतरा है तब तक सेविंग कर के रखे तो बेहतर होगा।