चीन समेत अन्य कई देशों में कोरोना के नए वेरिएंट की आहट सुनाई देते ही भारत अलर्ट मोड पर आ गया है, जिसके चलते केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों ने कोरोना को मात देने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में भी मॉक ड्रील कर कोरोना के खिलाफ जंग की तैयारियों की समीक्षा की जा रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कोरोना की स्थिति और वास्तविक तैयारियों को परखने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ एक बैठक की थी। उन्होंने सलाह दी कि मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में COVID अस्पतालों में एक मॉक ड्रिल आयोजित होगी और इसमें सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री भी अपने स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों को फोकस रखेंगे।
मंगलवार की सुबह उत्तर प्रदेश के अधिकांश कोविड अस्पतालों में 10 बजे से मॉक ड्रिल रिहर्सल शुरू हो गई है। इस मॉक ड्रिल के द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, आइसोलेशन बेड की क्षमता, ऑक्सीजन के साथ जुड़े बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर से जुड़े बेड, अधिकतम डॉक्टर, नर्स पैरामेडिक्स स्टाफ, आयुष डॉक्टरों और एंबुलेंस की उपलब्धता को परखा जा रहा है। वही जिलों के तहसील स्तर पर सीएचसी में कोरोना की तैयारियों के साथ आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व फ्रंटलाइन कार्यकर्ता की भी जानकारी हासिल की जा रही है।
यूपी में इस अभ्यास के दौरान कोविड से निपटने के लिए अस्पतालों में एक नोडल अधिकारी नामित किया गया है। जो कोविड अभ्यास के दौरान मिली खामियों से जुड़ी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को सौंपेंगे। यदि मॉक ड्रिल के समय किसी भी तरह की रिस्पांस टाइम व उपचार में कमियां मिलती है जाएंगी, वहां एक सप्ताह बाद दोबारा मॉक ड्रिल रिहर्सल होगी।
उत्तर प्रदेश के सभी कोविड अस्पतालों अस्पतालों में वार्ड आरक्षित कर दिए गए हैं, यदि कोविड बढ़ता है तो मरीजों की संख्या में इजाफा होगा तो कोविड वार्ड में बेड संख्या भी बढ़ाई जाने का प्लान तैयार रखा गया है। इसी आक्सीजन प्लांट से लेकर वार्ड में लगे बेड और ऑक्सीजन की सप्लाई, वेंटिलेटर, दवाओं की व्यवस्थाओं की सत्यता को भी मॉक ड्रिल के द्वारा जांचा-परखा जा रहा है।
हालांकि मेरठ के लाला लाजपतराय मेडिकल कालेज ने कोविड की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने 24 दिसंबर क़ मेडिकल कॉलेज में मॉक ड्रिल करते हुए एक डमी पेशेंट का उपचार किया। ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के इंतजाम को जांचा गया। मॉक ड्रिल के दौरान पेशेंट भर्ती करने में रिस्पांस टाइम का आंकलन सबसे महत्वपूर्ण रहा। आज पुन: मेरठ मेडिकल कॉलेज मॉक ड्रिल करके अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगा।