चीन में कोरोना के ओमिक्रॉन के जिस सब वैरिएंट BF.7 ने तबाही मचाई है उसके भारत में दस्तक देने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। चीन के साथ दुनिया के अन्य देशों में कोरोना के मामले तेजी से ब़ढ़ने के बाद भारत में भी कोरोना की नई लहर की आंशका जताई जा रही है। हलांकि भारत में अब तक ओमिक्रॉन के BF.7 वेरिएंट के जो मामले सामने आए है, उनमें कोरोना के माइल्ड लक्षण ही पाए गए है और संक्रमित व्यक्ति तेजी से स्वस्थ हो रहे है।
वहीं नए वेरिएंट को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्कता बरतने के निर्देश देते हुए कोरोना पॉजिटिव सभी केसों की जीनोम सेक्वेसिंग के निर्देश दिए है। इसके साथ सरकार लोगों से भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचने और मास्क के उपयोग करने की सलाह दे रही है।
ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में चीन की तरह कोरोना का असर दिखेगा और या भारत में कोरोना को लेकर चीन जैसे हालात नहीं होंगे। इन सवालों को लेकर वेबदुनिया ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में आनुवंशिकी (जैनेटिक्स) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे से बातचीत कर सवालों का जवाब जानने की कोशिश की।
भारत और चीन के हालात में अंतर?- वेबदुनिया से बातचीत में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि भारत और चीन के हालात में जमीन आसमान का अंतर है। चीन ने शुरु से कोरोना वायरस के खिलाफ जोरी कोविड पॉलिसी अपनाई और अब जैसे ही उसने जोरी कोविड पॉलिसी में ढील दी वहां पर हालात भयावह हो गए। इसका सबसे बड़ा कारण है कि चीन की बड़ी आबादी अब तक कोरोना इंफेक्शन से दूर थी और अब वह तेजी से संक्रमित हो रही है।
दूसरे शब्दों में कहे तो चीन ने कोविड को कर्व करने की कोशिश की। कहा जाता हैं कि चीन के लोग दीवार बनाने में माहिर समझते है और उन्होंने वायरस से बचाव के लिए एक तरह से अपने आसपास पांच फीट जैसी दीवार खड़ी कर ली और ऐसे में कोरोना वायरस अपनी आर नॉट वैल्यू बढ़ता गया और अब ज्यादा शक्तिशाली होकर कंट्रोल से बाहर है। चीन में कोरोना वायरस अब वहां लोगों को इंफेक्ट कर रहा है, इसलिए अचानक से संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखा गया है। हलांकि वह आगे कहते हैं कि चीन की वास्तविक स्थिति क्या है यह किसी को नहीं पता। चीन की सरकार कुछ कह रही है और मीडिया रिपोर्टस में कुछ और खबरें आ रही है।
चीन की तरह भारत में कोरोना की लहर नहीं- वेबदुनिया से बातचीत में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे कहते है कि कोरोना वायरस को लेकर भारत और चीन के हालात में बहुत अंतर है। गौर करने वाली बात यह है कि चीन में कोरोना का जो वायरस लोगों को संक्रमित कर रहा है वह ओमिक्रॉन का ही सब वेरिएंट है।
भारत में ओमिक्रॉन की लहर पिछले साल दिसंबर-जनवरी में आकर ही खत्म हो चुकी है। ऐसे में वायरस की प्रोफाइल बहुत ज्यादा चेंज नहीं हुई है, कुछ म्यूटेशन हुए है लेकिन ऐसे भी म्यूटेशन नहीं हुए है जो हमारी इम्युनिटी को पूरा का पूरा इवलेट कर देगा। वहीं देखा जाए तो भारत में ओमिक्रॉन का BF.7 वेरिएंट पहले ही जुलाई और अक्टूबर में ही रिपोर्ट किया जा चुका है। लेकिन केसों की संख्या कहीं नहीं बढ़ी और कोई अलार्मिंग स्थिति भी नहीं आई। ऐसे में संभावना है कि वायरस भारत में फैल रहा होगा लेकिन ऐसी संभावना नहीं है कि यह एक साथ बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित करेगा। ऐसी स्थिति भी नहीं है कि यह बम जैसा फटेगा और अब भारत में कोरोना की कोई बड़ी लहर की संभावना नहीं है।
कोरोना पर सख्त गाइडलाइन की जरूरत नहीं- 'वेबदुनिया' से बातचीत में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि वर्तमान में भारत में कोरोना को लेकर ऐसे हालात नहीं है कि कोरोना वायरस के BF.7 वेरिएंट को लेकर बहुत सख्त गाइडलाइन अपनाने की जरूरत है। अगर सरकार नए वेरिंएट को लेकर कोई सख्त कदम (जैसे लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध या लॉकडाउन) उठाए जाते है तो लोग पर दबाव पड़ेगा और हमने देखा कि पोस्ट कोविड में तनाव बहुत ही घातक साबित हुआ है।
वहीं ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि कोरोना वायरस को लेकर हम पहले ही बहुत कुछ झेल चुके है और सीख चुके है। हम पिछले दो सालों में बहुत कुछ सीख चुके है और हमको पता है कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही है। ऐसे में हमको घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। भारत में बड़ी संख्या में लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है और बड़ी सख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके है,ऐसे में भारत के लोगों में जो इम्युनिटी है वो करोना के नए वेरिएंट के संक्रमण का मुकाबला कर सकेगी।