चेन्नई। देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सीय ऑक्सीजन की बढ़ी मांग के बीच लोगों को अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की सुविधा मिलने में दिक्कतें आ रही हैं, ऐसे समय चेन्नई का एक एनजीओ अस्थाई एंबुलेंस के जरिए जरूरतमंद लोगों को जीवनरक्षक गैस की आपूर्ति कर रहा है।
इस आपात ऑटो एंबुलेंस का इस्तेमाल घर पर पृथकवास में रह रहे उन मरीजों के लिए भी किया जा रहा है, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है। शहर के कदामाई एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट नए तरह का ऑटो एंबुलेंस चला रहा है। शहर के उत्तरी हिस्सों में इसका दायरा भले ही बेहद सीमित हो, लेकिन सेवा के तरीकों को लेकर इसकी मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
ट्रस्ट के शिक्षा विभाग के प्रमुख टीसी कुमारस्वामी ने बताया, उत्तरी चेन्नई के इलाके में लोगों को 24 घंटे ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए हमने दो ऑटो में 47 लीटर की क्षमता वाले दो सिलेंडर फिट किए हैं। हम जो क्लिनिक चलाते हैं, वहां से एक बड़ा ऑक्सीजन सिलेंडर लिया है और एक सिलेंडर हमें औद्योगिक कंपनी से मिला है। ये आपात ऑटो एंबुलेंस अलग-अलग शिफ्ट में छह लोग चलाते हैं, जो फोन आने पर ऑक्सीजन की मदद मांगने वाले मरीजों तक तुरंत पहुंचते हैं।
कुमारस्वामी ने कहा, वर्तमान में हम लोग सिर्फ उत्तर चेन्नई में 15 किलोमीटर के दायरे में इसका संचालन कर रहे हैं और फोन पर ऑक्सीजन की मांग करने वाले लोगों को हम निराश नहीं करते हैं।औसतन ट्रस्ट को रोजाना करीब 150 से 200 फोन आते हैं।
सोमवार रात को कोरोनावायरस से संक्रमित एक मरीज को ले जा रहे एंबुलेंस के ड्राइवर ने ऑक्सीजन खत्म होने पर मदद के लिए ट्रस्ट से संपर्क किया था। उन्होंने बताया, रोयापुरम से 64 वर्षीय मरीज को हमारे ऑटो से ऑक्सीजन दिया गया और फिर उसे अस्पताल ले जाया गया।कुमारस्वामी ने कहा कि यह सेवा उन्हीं मरीजों के लिए है जो ऑटो में आराम से बैठ सकते हैं।
ट्रस्ट के संस्थापक सचिव सी वसंत कुमार ने कहा, इस सेवा के सफल संचालन का आज 12वां दिन है। हम लोग उन मरीजों तक भी पहुंचते हैं जो एंबुलेंस नहीं कर सकते या जिनके घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है।शहर के एक अन्य स्वयंसेवी संगठन ने भी हेल्प चेन्नई ब्रीद अभियान की शुरुआत की है जिसने लोगों से तीन करोड़ रुपए जुटाकर शहर में सरकारी अस्पतालों को 420 ऑक्सीजन सिलेंडर और 240 ऑक्सीजन सांद्रक जैसे उपकरण उपलब्ध कराए हैं।
समर्पण संगठन की गायत्री सूर्यनारायणन ने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर अपने अनुभवों के बाद उन्होंने इस पहल की शुरुआत की। उन्होंने कहा, मेरे एक मित्र के पिता का ऑक्सीजन स्तर गिरकर 70 हो गया था। उनके इलाज के लिए मैंने करीब 25 अस्पतालों में बेड के लिए संपर्क किया, लेकिन एक भी बेड नहीं मिल पाया। इन सबमें लंबा वक्त जाने के कारण उनकी मौत हो गए। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति थी।(भाषा)