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केरल में Corona के नए नियमों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका

हमें फॉलो करें केरल में Corona के नए नियमों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
, सोमवार, 9 अगस्त 2021 (15:55 IST)
प्रमुख बिंदु
  • केरल में Corona के नए नियमों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
  • याचिकाकर्ता ने नियमों को मनमाना करार दिया
  • अदालत ने नोटिस जारी किया
कोच्चि। केरल सरकार द्वारा कोविड-19 से बचाव के लिए कम से कम एक टीका लेने पर ही घर से बाहर निकलने संबंधी दिशानिर्देश के खिलाफ एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सोमवार को अदालत ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार को अपने रुख से अवगत कराने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि दवा से एलर्जी होने की वजह से उसने टीका नहीं लगवाया है और नया नियम उसे एक प्रकार से 'नजरबंद' करने जैसा है।

 
न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने राज्य सरकार की ओर से पेश अधविक्ता को यह निर्देश लेने के लिए कहा कि मामले में क्या किया जा सकता है क्योंकि याचिकाकर्ता का दावा है कि वह अकेले रहता है और किराना सामान सहित आवश्यक सामग्री खरीदने में उसकी मदद करने के लिए कोई नहीं है। अदालत ने इसके साथ ही इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
 
अदालत शुरुआत में इस मामले को अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए ले रही थी, जिनमें राज्य सरकार के चार अगस्त के दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने जब बताया कि उनका मुवक्किल अकेले रहता तो अदालत ने इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई का फैसला किया।
 
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह दवा की एलर्जी से ग्रस्त है और इसलिए देश में उपलब्ध कोविड-19 के दो टीकों में से किसी टीके की एक भी खुराक नहीं ली है। उसने अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्य प्रशासक को निर्देश दे कि वे उसपर टीके की जांच करे ताकि आकलन किया जा सके कि उन्हें इससे एलर्जी है या नहीं।
 
याचिका में राज्य सरकार के उस नियम को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है, जिसके मुताबिक दो सप्ताह पहले कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक लेने वालों, अधिकतम 72 घंटे पहले कराई गई आरटी-पीसीआर जांच में निगेटिव आने या एक महीना पहले कोविड पॉजिटिव आने की रिर्पोट होने पर ही लोगों को दुकान, बाजार, बैंक, सार्वजनिक और निजी कार्यालयों आदि में जाने की अनुमति दी जाएगी। याचिकाकर्ता ने इन नियमों को 'मनमाना' करार देते हुए, इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में दिए गए मूलभूत अधिकारों का हनन होता है।(भाषा)

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