लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU) में पहली बार कोरोना संक्रमित व्यक्ति का प्लाज्मा पद्धति से इलाज किया गया था, लेकिन शनिवार शाम को दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। हालांकि, उनकी कोरोना संक्रमण की दो रिपोर्ट नेगेटिव आई थीं।
प्लाज्मा चढ़ाए जाने वाले रोगी चूंकि बहुत पुराने मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी थे, इसलिये उन्हें निरंतर चिकित्सकों की निगरानी में पृथक वॉर्ड में रखा गया था।
रविवार (26 अप्रैल को) को उत्तर प्रदेश में पहली बार केजीएमयू में किसी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की प्लाज्मा पद्धति से इलाज किया गया था। यह संक्रमित उरई के चिकित्सक थे और उनको प्लाज्मा जमा देने वाली महिला भी कनाडा की एक चिकित्सक है जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थी और केजीएमयू में ही भर्ती थी।
केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने शनिवार को बताया कि 14 दिन बाद मरीज की हालत स्थिर थी। प्लाज्मा पद्धति देने के बाद उनके फेफड़े की स्थिति में काफी सुधार आया था। बाद में उनके पेशाब की नली में संक्रमण हो गया था।
उन्होंने बताया कि शनिवार को मृतक की दोनों कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी, लेकिन शाम 5 बजे के करीब उनको दिल का दौरा पड़ा और चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
केजीएमयू की रक्तब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने शनिवार को बताया कि 58 वर्षीय कोरोना संक्रमित डॉक्टर की पहली बार प्लाज्मा पद्धति से इलाज किया गया था। उनकी हालत पहले बहुत खराब थी, लेकिन प्लाजमा पद्धति से इलाज किए जाने के बाद उनके फेफड़ों की स्थिति में काफी सुधार हुआ था। चूंकि वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के पुराने रोगी थे, इसलिए उन्हें एहतियातन वेंटीलेटर पर रखा गया था।
डॉक्टरों की टीम लगातार उन पर नजर रख रही थी और उनकी कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी, लेकिन दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उन्होंने बताया कि उनके साथ उनकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, उनकी रिपोर्ट नेगेटिव पाए जाने के बाद शनिवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। (भाषा)