नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन से बाहर आने के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने जीवन और आजीविका यानी जान और जहान दोनों पर ही ध्यान दिए जाने के विशेष महत्व को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां एक तरफ जांच और मरीजों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने पर जोर देने के साथ-साथ स्वास्थ्य ढांचे को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि करनी होगी।
मोदी कहा कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्यों ने जिस तरह साथ मिलकर काम किया है, यह सहयोगात्मक संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की ढील कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में जरा भी ढिलाई न बरतें।
उन्होंने कहा कि अनलॉक-एक’ को दो सप्ताह हो रहे हैं। इस दौरान जो अनुभव आए हैं, उसकी समीक्षा करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान जरूरतों और भविष्य की आवश्यकताओं दोनों को ही ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जाने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे इस तथ्य को हमेशा ध्यान में रखें कि वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को खोलते समय निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता है।
एक बयान में कहा गया कि मंगलवार की बातचीत दो दिवसीय संवाद का पहला हिस्सा थी। इसमें पंजाब, असम, केरल, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, गोवा, मणिपुर, नगालैंड, लद्दाख, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव, सिक्किम और लक्षद्वीप की भागीदारी रही।
मोदी ने कहा कि किसी भी संकट से निपटने के लिए सही समय (टाइमिंग) का बहुत महत्व होता है। सही समय पर लिए गए फैसलों ने देश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बहुत मदद की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना वायरस दुनिया के अनेक देशों में चर्चा का विषय भी नहीं बना था, तब भारत ने इससे निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं, फैसले लेने शुरू कर दिए थे। हमने एक-एक भारतीय की जिंदगी को बचाने के लिए दिन-रात मेहनत की है।
मोदी ने कहा कि बीते हफ्तों में हजारों की संख्या में भारतीय, विदेश से अपने वतन वापस लौटे हैं। बीते हफ्तों में, लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों में पहुंचे हैं। रेल-रोड, हवाई-समुद्र, सारे मार्ग खुल चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी इतनी जनसंख्या होने के बावजूद, कोरोना संक्रमण उस जैसा विनाशकारी प्रभाव नहीं दिखा पाया, जो उसने दूसरे देशों में दिखाया है। दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञ, स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकार, लॉकडाउन और भारत के लोगों द्वारा दिखाए गए अनुशासन की आज चर्चा कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि आज भारत में ठीक होने की दर 50 प्रतिशत से ऊपर है। आज भारत दुनिया के उन देशों में अग्रणी है, जहां कोरोना संक्रमित मरीजों का जीवन बच रहा है। कोरोना से किसी की भी मृत्यु दु:खद है। हमारे लिए किसी एक भारतीय की भी मृत्यु असहज कर देने वाली है। लेकिन यह भी सच है कि आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु हो रही है।
उन्होंने कहा कि अब अनेक राज्यों के अनुभव आज आत्मविश्वास जगाते हैं कि भारत कोरोना के इस संकट में अपने नुकसान को सीमित करते हुए आगे बढ़ सकता है, अपनी अर्थव्यवस्था को तेजी से संभाल सकता है।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अलग-अलग राज्यों में आर्थिक गतिविधि का जिस तरह विस्तार होगा, उससे मिले अनुभव दूसरे राज्यों को भी बहुत लाभ पहुंचाएंगे। बीते कुछ हफ्तों के प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। बिजली का उपभोग जो पहले घटता जा रहा था, वो अब बढ़ना शुरू हुआ है। इस साल मई में उर्वरक की बिक्री बीते साल मई की अपेक्षा दोगुनी हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार खरीफ की बुवाई बीते साल की अपेक्षा करीब 12-13 प्रतिशत ज्यादा हुई है। दोपहिया वाहनों का उत्पादन लॉकडाउन से पहले के स्तर की करीब-करीब 70 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। खुदरा में डिजिटल भुगतान भी लॉकडाउन से पहले की स्थिति में पहुंच चुका है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में जब कभी भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई का अध्ययन होगा, तो ये दौर इसलिए भी याद किया जाएगा कि कैसे इस दौरान हमने साथ मिलकर काम किया, सहयोगात्मक संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि थोड़ी-सी भी लापरवाही, अनुशासन में कोताही से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि हम कोरोना वायरस को जितना रोक पाएंगे, उतना ही हमारी अर्थव्यवस्था खुलेगी, हमारे दफ्तर खुलेंगे, बाजार खुलेंगे, परिवहन के साधन खुलेंगे और उतने ही रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मास्क या फेस कवर पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है। बिना मास्क या फेसकवर के घर से बाहर निकलने की अभी कल्पना करना भी सही नहीं है। ये जितना खुद उस व्यक्ति के लिए खतरनाक है, उतना ही उसके आसपास के लोगों के लिए भी।
मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों ने अपने राज्यों में जमीनी स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को बताया। मौजूदा स्वास्थ्य अवसंरचना और इसमें वृद्धि के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में सुधारों के माध्यम से किसानों को संभावित लाभों का उल्लेख किया जिससे उन्हें उपज बेचने के लिए नए विकल्प उपलब्ध होंगे और आय में वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैठक में भाग ले रहे राज्यों में कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन और एमएसएमई का विशेष महत्व है, जिनके लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अनेक प्रावधान किए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बैठक में मौजूद थे।
बुधवार को प्रधानमंत्री महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, बिहार और उत्तरप्रदेश सहित 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल से बातचीत करेंगे। (भाषा)