Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नई रिसर्च, Coronavirus में कारगर हो सकती है रेमडेसिविर दवाई

हमें फॉलो करें नई रिसर्च, Coronavirus में कारगर हो सकती है रेमडेसिविर दवाई
, सोमवार, 14 दिसंबर 2020 (21:14 IST)
लंदन। एक अध्ययन के अनुसार रेमडेसिविर दवाई सार्स-कोव-टू के खिलाफ काफी प्रभावी 'एंटीवायरल' हो सकती है। सार्स-कोव-टू वायरस के कारण ही कोविड-19 बीमारी होती है। यह जानकारी एकल रोगी अध्ययन पर आधारित है, जो पहले के शोध के विपरीत है जिसमें बताया गया कि इस दवा का बीमारी के कारण मौत की दर पर कोई असर नहीं होता है।
ALSO READ: Special Story:5 सवालों से समझें कोरोना वैक्सीनेशन का पूरा प्लान,जानिए आपके हर सवाल का जवाब!
ब्रिटेन में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के एक रोगी को यह दवा दी, जो प्रतिरक्षा संबंधी विरल बीमारी से भी पीड़ित था। उन्होंने पाया कि रोगी के लक्षणों में काफी सुधार हुआ और वायरस खत्म हो गया।वैज्ञानिकों ने पहले रेमडेसिविर पर उम्मीद जताई थी जिसका विकास मूलत: हेपेटाइटिस सी के लिए हुआ था और फिर इबोला के खिलाफ भी इसका परीक्षण किया गया।
 
बहरहाल, बड़े क्लिनिकल परीक्षणों के परिणाम का कोई निष्कर्ष नहीं निकला है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि दवा से मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई। नया अध्ययन 'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में छपा है जिसमें कोविड-19 पर दवा के प्रभाव को तय करने के लिए एक अलग तरीके का इस्तेमाल किया गया है।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के जेम्स थावेनतिरन ने कहा कि रेमडेसिविर के प्रभाव का समर्थन करने या उस पर सवाल उठाने के लिए अलग-अलग अध्ययन हैं लेकिन संक्रमण के पहले चरण के दौरान किए गए कुछ परीक्षण इसके वायरल विरोधी गुणों का आकलन करने में उपयुक्त नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने 'एक्सएलए' से पीड़ित 31 वर्षीय एक व्यक्ति पर इस दवा का परीक्षण किया। 'एक्सएलए' एक विरल आनुवांशिक स्थिति है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है और इसलिए संक्रमण से लड़ने में परेशानी होती है। रोगी की बीमारी बुखार, कफ, चक्कर आना और उल्टी से शुरू हुई और 19वें दिन वह सार्स-कोव-टू से पीड़ित पाया गया।
उसमें यह लक्षण बना रहा और 30वें दिन उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे सांस लेने में दिक्कत आने के कारण ऑक्सीजन दिया गया। उन्होंने कहा कि पहले रोगी का उपचार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन जैसी दवाइयों से किया गया जिसका कम प्रभाव रहा और 34वें दिन उपचार रोक दिया गया। इसके बाद रोगी को 10 दिनों के लिए रेमडेसिविर का कोर्स दिया गया।
 
शोधकर्ताओं ने पाया कि 36 घंटे के अंदर बुखार और सांस लेने में तकलीफ में कमी आई और चक्कर तथा उल्टी जैसी शिकायतें समाप्त हो गईं। साथ ही ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने से उसे पूरक ऑक्सीजन भी बंद कर दिया गया। रोगी को 43वें दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। छुट्टी दिए जाने के 1 हफ्ते बाद उसे फिर बुखार, सांस में तकलीफ और चक्कर आना शुरू हो गया। उसे 54वें दिन फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया और ऑक्सीजन दिया गया। वह फिर से कोरोनावायरस से पीड़ित पाया गया और 61वें दिन रोगी का फिर से 10 दिनों के लिए रेमडेसिविर का कोर्स शुरू किया गया।
 
शोध में पाया गया कि उसके लक्षणों में एक बार फिर से तेजी से सुधार होने लगा, बुखार कम हो गया और उसे दिया जाने वाला पूरक ऑक्सीजन हटा लिया गया। 69वें और 70वें दिन 'कोनवालसेंट प्लाज्मा' के साथ अतिरिक्त उपचार के 3 दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब उसमें कोई लक्षण नहीं है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Facebook पर BJP-RSS का कंट्रोल, फिर हुआ खुलासा : राहुल गांधी