कोरोना को लेकर एक चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है। यह रिसर्च इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक हवा के संपर्क में आने पर करीब 20 मिनट के भीतर कोरोना वायरस 90 प्रतिशत तक कमजोर हो जाता है। रिसर्चर्स ने इसका कारण हवा में नमी और कार्बन डाइऑक्साइड की कमी को बताया है।
आखिर कैसे पसरता है संक्रमण?
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इसे समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कोरोना का संक्रमण फैलता कैसे है।
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यह वायरस हवा के जरिये फैलता है।
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हवा फ्लूइड (तरल) होती है। इसमें तरह-तरह के कण मौजूद होते हैं, जो समय के साथ वातावरण में फैलते जाते हैं।
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वायरस भी इस हवा के साथ फैलने की ताकत रखता है।
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जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है और हम वहीं उसके आसपास उसी हवा में सांस लेते हैं, तब वायरस हमारे शरीर में ट्रांसफर हो जाता है।
रिसर्च में कहा गया है कि हवा वायरस के कणों को सुखा देती है। साथ ही, हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की कमी होने के कारण वायरस का pH लेवल बढ़ जाता है। ये दोनों चीजें होने की वजह से वायरस कुछ ही मिनटों में संक्रमण फैलाने की क्षमता खो देता है।
शरीर में कैसे जिंदा रहता है वायरस?
विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि कोरोना वायरस नमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा वाले वातावरण में ज्यादा समय तक जीवित रहता है। चूंकि उसे ये दोनों ही चीजें हमारे फेफड़ों में मिल जाती हैं, इसलिए ये हमारे शरीर को आसानी से नहीं छोड़ता। इसलिए मास्क और सामाजिक दूरी बहुत जरूरी है।
रिसर्च में यह भी सामने आया कि ऑफिस जैसी जगह, जहां के वातावरण में नमी 50 प्रतिशत से कम होती है, वहां वायरस केवल 5 सेकंड में ही अपनी संक्रमण फैलाने की 50% क्षमता खो देता है। हालांकि स्टीम रूम या शॉवर रूम में नमी होने के कारण वायरस की ताकत ज्यादा देर तक बनी रहती है। फिर भी, दोनों स्थितियों में वायरस 20 मिनट के अंदर 90% तक कमजोर हो ही जाता है।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, स्टडी के लीड वैज्ञानिक जोनाथन रीड का कहना है कि इस समय सभी लोग हवादार जगहों और वेंटीलेशन पर फोकस कर रहे हैं। लेकिन सही मायने में देखा जाए, तो संक्रमण होने का सबसे ज्यादा खतरा संक्रमित व्यक्ति के करीब रहने पर होता है। इसलिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाना बहुत जरूरी है।