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वैज्ञानिकों का दावा, कोविड-19 की दवा बनाने में चमगादड़ से ही मिलेगी मदद

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, सोमवार, 13 जुलाई 2020 (17:52 IST)
न्यूयॉर्क। विभिन्न अध्ययनों की एक समीक्षा के मुताबिक कोरोना वायरस जैसे विषाणुओं को बर्दाश्त करने की चमगादड़ों की क्षमता सूजन नियंत्रित करने की उनकी शक्ति से विकसित होती है। इसके मुताबिक उनके रोग प्रतिरोधक तंत्र को समझकर इंसानों में कोविड-19 के इलाज के लिए नई दवा के लिए लक्ष्यों की पहचान की जा सकती है।
 
अमेरिका के रोचेस्टर विश्विद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं समेत अन्य ने कहा कि भले ही चमगादड़ मनुष्यों को प्रभावित करने वाले कई घातक विषाणुओं जैसे इबोला, रेबीज और सार्स-सीओवी-2 के जनक रहे हैं लेकिन इन उड़ने वाले स्तनधारी जीवों में बिना किसी बुरे प्रभाव के इन रोगाणुओं को बर्दाश्त करने की क्षमता होती है।
 
उन्होंने एक बयान में कहा, भले ही इंसान इन विषाणुओं से संक्रमित होने के बाद प्रतिकूल लक्षणों का अनुभव करते हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से चमगादड़ इन रोगाणुओं को बर्दाश्त करने में समर्थ होते हैं और साथ ही में वे समान आकार के अन्य स्तनपायी जीवों से ज्यादा वक्त तक जिंदा रहते हैं।
 
समीक्षा अनुसंधान में वैज्ञानिकों ने इस बात का आकलन करने की कोशिश की चमगादड़ों की सूजन को नियंत्रित करने की प्राकृतिक क्षमता कैसे बीमारियों से लड़ने की प्रवृत्ति और उनके लंबे जीवनकाल में योगदान देती है।
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अध्ययन की सह-लेखिका वेरी गोर्बूनोवा ने कहा, कोविड-19 से सूजन बहुत बढ़ जाती है और संभवत: विषाणु से अधिक सूजन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया ही मरीजों की जान लेती हो। 
 
उन्होंने कहा, मनुष्य का प्रतिरक्षा तंत्र इसी तरह से काम करता है- एक बार हम संक्रमित हो जाएं तो हमारा शरीर सक्रिय हो जाता है और हमें बुखार एवं सूजन हो जाती है।
 
गोर्बूनोवा ने कहा कि इंसानों में प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया का मकसद वायरस को मारना और संक्रमण को खत्म करना है लेकिन यह हानिकारिक प्रतिक्रिया हो सकती है क्योंकि मरीज का शरीर खतरे के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया देने लगता है। 
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ों में विशेष तंत्र होता है जो उनके शरीर में वायरस की संख्या को बढ़ने नहीं देता और उनके प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भी हल्का कर देता है।यह अनुसंधान ‘सेल मेटाबोलिज्म’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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