नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस के टीके (Coronavirus Vaccine) को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दूसरे देशों को टीके बेचे जा रहे हैं, लेकिन अपने ही देश के लोगों के लिए टीके उपलब्ध नहीं है।
इतना ही नहीं अदालत ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को कोरोना टीके को बनाने की क्षमता की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से भी कहा है कि वह कोरोना टीका पाने के लिए जो वर्गीकरण किया जा रहा है, उसकी भी वजह बताए।
उल्लेखनीय है कि सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड टीके को बना रहा है, जबकि भारत बायोटेक कोवैक्सीन बना रहा है। बुधवार को ही जानकारी सामने आई थी कि कोवैक्सीन 81 प्रतिशत तक सुरक्षित है। इस बीच, कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल भी पूर्ण हो चुका है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने यह भी कहा कि सीरम और भारत बायोटेक के पास ज्यादा मात्रा में टीका बनाने और उपलब्ध कराने की क्षमता है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे इसका पूरा फायदा नहीं उठा रहे हैं। अदालत ने कहा कि हम टीके को या तो बेच रहे हैं या फिर दान कर रहे हैं। दूसरी ओर, अपने ही लोगों को टीका नहीं दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि टीकाकरण के तीसरे चरण में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को टीका लगाया जा रहा है, जबकि 45 से ऊपर के उन लोगों को टीका लगाया जा रहा है, जो किसी बीमारी से ग्रस्त हैं।