कोरोना के इलाज में सबसे जरूरी है उसकी जांच समय पर हो जाए, अभी कोरोना की जांच के लिए किए जा रहे आरटी-पीसाआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में दो दिन का समय लग जाता है,ऐसे में अब वैज्ञानिकों ने कोरोना की तेज जांच का एक नया तरीका ढूंढा है।
दरअसल अब स्मार्टफोन से स्वाब लेकर वायरस की उपस्थिति का परीक्षण किया जा सकेगा। स्क्रीनिंग के इस नए तरीके में व्यक्ति के नाक या गले से सैंपल लेने की जरूरत नहीं होगी, जो आमतौर पर आरटी-पीसीआर टेस्ट के मामले में किया जाता है।
इस टेस्ट की लागत भी कम है, साथ ही श्वसन तंत्र में वायरस की उपस्थिति की जांच के अन्य तरीकों की तरह, इस टेस्ट के परिणाम भी सटीक आने का दावा किया जा रहा है।
क्या होगा यह नया तरीका?
अब तक के कई अध्ययनों में यह सामने आ चुका है कि स्मार्टफोन के स्क्रीन पर लाखों वायरस और बैक्टीरिया हो सकते हैं। इस्तेमाल के लिए स्क्रीन को छूने के बाद उन्हीं हाथों से अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने पर यह वायरस और बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसी तरह, कोरोनावायरस के मामले में खांसने और छींकते से निकलने वाले ड्रॉपलेट आसपास की सतहों पर रह जाते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के सेलफोन की स्क्रीन या व्यक्तिगत सामानों से भी संक्रमण की पुष्टि की जा सकती है। यह टेस्ट भी इसी पर आधारित है।
कैसे होगा यह टेस्ट?
इस परीक्षण में व्यक्ति के फोन स्क्रीन से सैंपल एकत्र किए जाते हैं जैसे कि नासॉफिरिन्जियल सैंपलिंग के दौरान होता आया है। फिर उन्हें खारे पानी के घोल में डाला जाएगा और इस घोल को नियमित आरटी-पीसीआर के माध्यम से परीक्षण के लिए भेजा जाएगा।
परीक्षण के लिए शोधकर्ताओं ने मोबाइल की स्क्रीन से एकत्रित सैंपल को इस नए टेस्ट के साथ आरटी-पीसीआर अध्ययन के लिए भी भेजा, शोधकर्ताओं ने पाया कि फोन के इस परीक्षण के माध्यम से उच्च वायरल लोड वाले 81.3 से 100 फीसदी तक संक्रामक लोगों का पता लगाया जा सकता है। 540 लोगों में से 51 लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव था जबकि 15 लोगों का सीटी वैल्यू कम था। फोन टेस्ट में भी इन लोगों का टेस्ट भी पॉजिटिव आया।