नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की भविष्य की लहरें क्या बच्चों को अधिक प्रभावित करेंगी या उनके लिए अधिक गंभीर होंगी, यह सभी अटकलें हैं। यह बात एक वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने बुधवार को कही।
नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के निदेशक प्रवीण कुमार ने कहा कि लोग अनुमान लगाते हैं कि भविष्य की लहरें बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती हैं क्योंकि अगले कुछ महीनों में अधिकांश वयस्कों को टीका लगा दिया जाएगा, जबकि अभी भी बच्चों के लिए कोई स्वीकृत टीका नहीं है।
महामारी ने बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित किया है, इस पर कुमार ने कहा कि महामारी का बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि वे एक साल से अधिक समय से घरों में बंद हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, परिवार में बीमारियों, माता-पिता के वेतन के नुकसान ने तनाव को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चे अलग तरीके से मनोवैज्ञानिक परेशानी (उदासी) व्यक्त कर सकते हैं। प्रत्येक बच्चा अलग तरह से व्यवहार करता है, कुछ चुप हो सकते हैं जबकि अन्य क्रोध और अति सक्रियता व्यक्त कर सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में उनके हवाले से कहा गया है, देखभाल करने वालों को बच्चों के साथ धैर्य अपनाने और उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है। छोटे बच्चों में तनाव के लक्षणों का पता लगाएं। तनाव से निपटने और उनकी चिंता को दूर करने के लिए परिवारों को भी बच्चों का समर्थन करने की आवश्यकता है।
क्या भविष्य की लहरें बच्चों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं, इस पर कुमार ने कहा कि कोविड-19 एक नया वायरस है जिसमें उत्परिवर्तित होने की क्षमता है। उन्होंने कहा, भविष्य की लहरें बच्चों को अधिक प्रभावित करेंगी या उनके लिए अधिक गंभीर होंगी, ये अटकलें हैं।
लोग अनुमान लगाते हैं कि भविष्य की लहरें बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती हैं क्योंकि अगले कुछ महीनों में अधिकांश वयस्कों को टीका लगा दिया जाएगा, जबकि हमारे पास बच्चों के लिए अभी तक कोई स्वीकृत टीका नहीं है। उन्होंने कहा, हालांकि हम नहीं जानते कि वायरस भविष्य में किस तरह से व्यवहार करेगा और बच्चों पर कैसा प्रभाव डालेगा, हमें अपने बच्चों को इससे बचाने की जरूरत है।
बयान में कहा गया है कि घर में वयस्कों को कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए और संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए अपने सामाजिक जुड़ाव को सीमित करना चाहिए क्योंकि वे संक्रमण को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं और प्रसारित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सभी वयस्कों को टीके लगवाने चाहिए, जिससे बच्चों की भी काफी हद तक रक्षा होगी।
इसमें कहा गया है कि अब गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए टीका उपलब्ध है। बयान के अनुसार कुमार ने कहा कि यह गर्भ में पल रहे भ्रूण और नवजात को घातक संक्रमण से कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर ने बच्चों को समान रूप से प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा, कोविड-19 एक नया वायरस है और यह सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है क्योंकि हमारे पास इस वायरस के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा नहीं है। अभी तक, बच्चों में मृत्यु दर वयस्कों की तुलना में कम है और यह आमतौर पर अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों में देखी जाती है।
बाल रोगियों, विशेष रूप से अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों के इलाज में आने वाली चुनौतियों पर, कुमार ने कहा, कोविड-संक्रमित बच्चों के लिए समर्पित बिस्तरों की संख्या में वृद्धि करके हम बड़े पैमाने पर बच्चों की देखभाल करने में सक्षम हुए। हालांकि दूसरी लहर के चरम के दौरान हमें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि कई वरिष्ठ डॉक्टर, रेजिडेंट डॉक्टर, स्टाफ नर्स संक्रमित हो गए।(भाषा)