नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का कहना है कि कंप्यूटर से डिजाइन किया गया सिंथेटिक वायरलरोधी प्रोटीन प्रयोगशाला में विकसित मानव कोशिकाओं की सार्स-सीओवी-2 से रक्षा करने में सक्षम है। कोरोनावायरस (Coronavirus) सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के कारण ही लोगों को कोविड-19 बीमारी होती है।
जर्नल ‘साइंस’ में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम के अनुसार, प्रयोग के दौरान सबसे मजबूत वायरसरोधी एलसीबी1 ने सार्स-सीओवी-2 का मुकाबला किया और अपना बचाव करते हुए वायरस के एंटीबॉडी को निष्क्रिय कर दिया।
अमेरिका में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि एनसीबी1 का फिलहाल चूहों पर परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी कोरोनावायरस में एक तथाकथित स्पाइक प्रोटीन होता है, जो मानव कोशिका से चिपक जाता है और वायरस को कोशिका झिल्ली को तोड़ने और उसे संक्रमित करने में मदद करता है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, वायरस के कोशिका में प्रवेश करने की इस प्रणाली को अगर रोकने का तरीका विकसित कर लिया जाए तो कोविड-19 का इलाज, यहां तक कि टीका बनाना भी संभव हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर का उपयोग करके नए प्रोटीन डिजाइन किए हैं, जो सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन से मजबूती से जुड़ जाएगा और उसे कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकेगा।
उन्होंने बताया कि कंप्यूटर पर 20 लाख से ज्यादा स्पाइक-बाइंडिंग प्रोटीन विकसित किए गए थे। उनमें से 118,000 से ज्यादा को बनाया गया और प्रयोगशाला में उनका परीक्षण किया गया।
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के लांगशिंग काओ का कहना है, हालांकि इसके लिए बड़े पैमाने पर क्लिनिकल जांच/परीक्षण की जरुरत है, हमें लगता है कि कंप्यूटर से विकसित वायरसरोधी प्रोटीन का परिणाम बेहतर रहेगा।अनुसंधानकर्ताओं ने इस वायरसरोधी प्रोटीन का निर्माण दो तरीके से किया। पहले में एसीई2 प्रोटीन रिसेप्टर का उपयोग किया गया।
गौरतलब है कि सार्स-सीओवी-2 इसी प्रोटीन रिसेप्टर से जुड़कर मानव कोशिकाओं को संक्रमित करता है। दूसरे तरीके में वैज्ञानिकों ने पूरी तरह से सिंथेटिक प्रोटीन विकसित किया है। दोनों की तुलना करने पर सिंथेटिक प्रोटीन संक्रमण को रोकने में ज्यादा कारगर है।(भाषा)