मुंबई। अपने घर से 30 किलोमीटर दूर पैदल चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन पकड़ने आया राजस्थान का 45 वर्षीय एक श्रमिक वसई रोड रेलवे स्टेशन पर बेहोश हो गया और उसकी मौत हो गई। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि घटना गुरुवार शाम को हुई और मृतक की पहचान ठाणे जिले के भायंदर के निवासी हरीश चंद्र शंकर लाल के रूप में की गई है।
अधिकारी ने कहा कि राजस्थान स्थित अपने गृह नगर जाने के वास्ते श्रमिक स्पेशल ट्रेन पकड़ने के लिए उक्त मजदूर अपने स्थानीय आवास से 30 किलोमीटर पैदल चलकर वसई रोड स्टेशन आया था। उन्होंने कहा कि शंकरलाल पेशे से बढ़ई था और एक निर्माण स्थल पर काम कर रहा था।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शंकर बेरोजगार हो गया था। अधिकारी ने कहा कि श्रमिक और उसके कुछ दूर के रिश्तेदारों ने स्पेशल ट्रेन से गृह नगर वापस जाने की योजना बनाई थी। बुधवार को उन्हें सूचना मिली कि बृहस्पतिवार को राजस्थान के लिए एक विशेष ट्रेन जाने वाली है।
अधिकारी ने बताया कि शंकर गुरुवार दोपहर को प्रचंड गर्मी में मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर दौड़ता और चलता रहा ताकि वह स्टेशन पहुंच सके। श्रमिक के पास कोई निजी वाहन या ऑटोरिक्शा करने तक के पैसे नहीं थे।
अधिकारी ने कहा कि स्टेशन पहुंचने पर उसकी तबीयत खराब हो गई, जिसके कारण उसने उल्टी भी की। मानिकपुर थाने की पुलिस श्रमिक को अस्पताल ले गई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस संबंध में मानिकपुर थाने में दुर्घटना वश मौत का मामला दर्ज किया गया है।
भायंदर में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि उन्हें रेलवे स्टेशन तक ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। वसई के तहसीलदार किरण सुरवसे से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि केवल वसई में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों को रेलवे स्टेशन पहुंचाने के लिए व्यवस्था की गई थी और भायंदर उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता।
इधर यूपी में घर पहुंचने से पहले दम तोड़ा : मुंबई से एक ट्रक से वापस अपने गृह जनपद लौट रहे एक श्रमिक की शुक्रवार की सुबह इटियाथोक थाना क्षेत्र में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार इटियाथोक पहुंचकर चालक ने शव को सड़क पर उतार दिया तथा गाड़ी लेकर फरार हो गया।
थाना प्रभारी बीएन सिंह ने बताया कि करीब 40 प्रवासी श्रमिक एक ट्रक से मुंबई से घर लौट रहे थे कि इसी दौरान एक श्रमिक की रास्ते में मौत हो गई। सिंह ने बताया कि सुबह करीब पांच बजे ट्रक चालक ने फोन करके इस श्रमिक के परिजनों को इस बारे में सूचना दी, लेकिन उनके पहुंचने से पूर्व ही उसने इटियाथोक थाने से थोड़ा आगे बलरामपुर मार्ग पर शव को सड़क पर ही रख दिया तथा अन्य श्रमिकों को लेकर चला गया। बाद में परिजन उसके शव को गांव लेकर गए।