न्यूयॉर्क। कोरोना वायरस संकट से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़ रही है और ऐसा माना जा रहा है कि बेरोजगारी की यह दर 1930 के दशक में आई महामंदी के स्तर तक पहुंच गई है। बेरोजगारी पर नए आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण प्रत्येक 6 अमेरिकी कर्मचारियों में से 1 को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
गहराते आर्थिक संकट के जवाब में सदन ने करीब 500 अरब डॉलर का व्यय पैकेज पारित किया है जिससे कि संकटग्रस्त कारोबारों एवं अस्पतालों की मदद की जा सके। सरकार ने बताया कि नौकरी से निकाले गए 44 लाख अमेरिकियों ने पिछले हफ्ते बेरोजगारी लाभों के लिए आवदेन किया था।
कुल मिलाकर करीब 2.6 करोड़ लोगों ने 5 हफ्तों में बेरोजगारों को मिलने वाली मदद के लिए आवेदन दिया है। यह संख्या अमेरिका के 10 बड़े शहरों की आबादी के बराबर है। यह भीषण गिरावट है जिसके बाद उस चर्चा को और बल मिलने लगा है कि कारखानों एवं अन्य कारोबारों को बंद से कैसे और कब छूट दी जानी चाहिए?
अमेरिका के सबसे अधिक प्रभावित हिस्से न्यूयॉर्क में ऐसे साक्ष्य उभर रहे हैं कि राज्य के संभवत: 27 लाख निवासी वायरस से संक्रमित हैं, जो कि प्रयोगशाला जांचों में की गई पुष्टि से 10 गुना अधिक हैं, वहीं न्यूयॉर्क सिटी के स्वास्थ्य कमिश्नर ऑक्सिरिस बारबोट ने कहा कि शहर में करीब 10 लाख लोग संक्रमित हैं। शहर की आबादी 86 लाख है।
वॉशिंगटन में कई सासंद मास्क और रंग-बिरंगे रूमाल चेहरे पर पहने हुए नजर आए तथा कुछ सांसद खाली पड़े आगंतुक वीथिका में बैठे दिखे ताकि अन्य से दूरी बनाई जा सके। सभी ने नए व्यय पैकेज पर चर्चा की। शाम में लगभग सर्वसम्मति से किए गए मतदान की जानकारी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक पहुंचा दी गई।
विधेयक में प्रशासन के 250 अरब डॉलर का आग्रह है जिसे छोटे एवं मध्यम आकार के कारोबारों के वेतन, किराया देने और अन्य खर्चे में मदद करने वाले कोष में डालने की मांग की गई है। ट्रंप ने कहा है कि यह विधेयक छोटे कारोबारों की मदद करेगा ताकि लाखों कर्मचारियों को वेतन मिलता रहे। (भाषा)