नई दिल्ली, (इंडिया साइंस वायर) कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के विरुद्ध भारत ने निर्णायक युद्ध के लिए कमर कस ली है। कोरोना वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में युद्ध स्तर पर इसके टीकाकरण की तैयारियां चल रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 16 जनवरी से विश्व का यह सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो रहा है। तीन जनवरी 2021 को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा दो टीकों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) के आपात उपयोग की मंजूरी मिलने के बाद अब चुनौती इस टीकाकरण को समुचित रूप से अंजाम देने की है।
यही कारण है कि देश के विभिन्न राज्यों में कई दौर के ट्रायल और हर जरूरतमंद व्यक्ति तक वैक्सीन पहुँचाने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सशक्त रणनीति तैयार की गई है।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी
भारत में सीमित आपात उपयोग (रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन) के लिए दो कोरोना वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन को अनुमति मिली है। कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रजेनका के संयुक्त प्रयास में पुणे स्थित कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। वहीं, कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी भारत बायोटेक ने किया है।
टीकाकरण के पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिए जाने की योजना है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस महत्वकांक्षी टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा पहले ही तैयार कर ली गई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 736 जिलों में वैक्सीन पर ड्राई रन किया गया। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 736 जिलों में वैक्सीन पर ड्राई रन किया गया।
निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक टीकाकरण
निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक प्राथमिक रूप से हेल्थकेयर वर्कर यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अन्य लोगो को वैक्सीन दी जाएगी, जिनकी संख्या करीब एक करोड़ बतायी जा रही है। इसके बाद करीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर, जिसमें राज्य पुलिस, अर्ध सैनिक बल, सैन्य बल और सैनिटाइजेशन वर्कर शामिल हैं, को यह वैक्सीन दी जाएगी। हेल्थकेयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को पंजीकरण नहीं कराना होगा, क्योंकि इनका डेटा सरकार के पास उपलब्ध है। पहले चरण में सबसे अधिक 27 करोड़ ऐसे लोग शामिल होंगे, जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है, या फिर ऐसे लोग, जिन्हें पहले से ही कोई गंभीर बीमारी है। इस पूरे अभियान की तत्परता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि टीकाकरण कार्यक्रम का बिगुल बजने से पहले दो बार पूरी प्रक्रिया का ड्राई रन यानी मॉक ड्रिल किया जा चुका है।
उत्पादन इकाई से टीकाकरण केंद्र तक
टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर विभिन्न टास्क फोर्स गठित किए हैं। हालांकि, टीकाकरण शुरू होगा तो कैसे कोरोना वैक्सीन, फैक्टरी से टीकाकरण केंद्र तक पहुंचेगी, यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं है। वैक्सीन का निर्माण कंपनी की उत्पादन इकाई में होता है, जहां से इसे भारत सरकार के गवर्न्मेंट मेडिकल स्टोर डिपार्टमेंट द्वारा संचालित प्राइमरी वैक्सीन स्टोर (जीएमसीडी) में भेजा जाएगा।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मेडिकल स्टोर संगठन में मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, गुवाहाटी, करनाल और नई दिल्ली स्थित सात मेडिकल स्टोर डिपो शामिल हैं। उत्पादनकर्ता कंपनी हवाई यातायात के माध्यम से वैक्सीन इन जीएमसीडी डिपो पर भेजती है, जहां से इसे राज्यों के वैक्सीन डिपो तक पहुंचाया जाता है।
भारत में इस समय कुल 37 राज्य वैक्सीन स्टोर हैं। रेफ्रिजरेटेड या इंसुलेटेड बैंक के जरिये वैक्सीन यहां तक पहुंचती है। इन भंडारण-केंद्रों से वैक्सीन को आगे पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है। राज्यों के वैक्सीन डिपो से प्रदेश सरकार द्वारा जिला वैक्सीन स्टोर में कोरोना वैक्सीन को रेफ्रिजरेटेड या इंसुलेटेड वैन के जरिये भेजा जाएगा, जो तापमान नियंत्रित केंद्र होता है। चिह्नित किए गए वैक्सीन केंद्रों तक वैक्सीन को ताप नियंत्रित ट्रांसपोर्ट डिवाइस में भेजा जाएगा। इस तरह के वैक्सीन केंद्रों में जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, या फिर उप-स्वास्थ्य केंद्र शामिल हो सकते हैं। हालांकि, टीकाकरण की तारीख और स्थान का निर्धारण जिला प्रशासन करेगा।
CoWin ऐप रखेगा अपडेट
भारत में आम जनता को वैक्सीन लगवाने के लिए CoWin ऐप डाउनलोड करना होगा। हालांकि, ध्यान देने की बात यह भी है कि गूगल प्ले स्टोर पर CoWin से मिलते-जुलते नाम वाले कई अन्य ऐप पहले से बन गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि टीकाकरण अभियान शुरू होने से पहले CoWin ऐप लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद लोग इसे डाउनलोड कर सकेंगे। वैक्सीन लगवाने के लिए 12 भाषाओं में उपलब्ध इस ऐप पर पंजीकरण करना होगा। वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद इस ऐप से सर्टिफिकेट भी मिलेगा। टीकाकरण के बाद किसी को परेशानी होती है तो साइड इफेक्ट मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी इस ऐप में ही है। इस ऐप को डिजीलॉकर से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि वैक्सीन लगने के बाद सर्टिफिकेट इसी ऐप में सुरक्षित रखा जा सके। 24 घंटे की हेल्पलाइन और Chatbot भी ऐप में उपलब्ध होगा।