नई दिल्ली। एक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के लिए मास्क अनिवार्य किया जाना अवैज्ञानिक और हानिकारक है। उन्होंने अपनी बात विस्तारपूर्वक रखते हुए कहा कि सही ढंग से मास्क नहीं लगाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है और कोविड के स्थानिक बनने के कारण मास्क की सीमित भूमिका रह गई है।
हालांकि सरकार ने फिलहाल कोविड संबंधी कोई दिशानिर्देश या मास्क लगाने का आदेश नहीं दिया है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 200 निजी स्कूलों ने मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पहले ही छात्रों और कर्मचारियों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है।
सामान्य चिकित्सक तथा संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जब बीमारी स्थानिक होती है तो सभी आयु समूहों व बच्चों के लिए मास्क का लाभ और भी कम हो जाता है। फिर हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि मास्क सही ढंग से नहीं लगाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यदि बच्चे मास्क को छूते रहेंगे तो यह उन्हें संक्रमण के प्रति संवेदनशील बना देगा।
लहरिया ने कहा कि महामारी के दौरान भी डब्ल्यूएचओ ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क की सलाह नहीं दी थी। 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी मास्क अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक थे। इनका लाभ न के बराबर था, लिहाजा मास्क अनिवार्य नहीं हैं।
नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल्स कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष सुधा आचार्य के मुताबिक दिल्ली के करीब 230 निजी स्कूलों ने मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है और सामाजिक दूरी के नियम लागू कर दिए हैं। इनमें बाल भारती, दिल्ली पब्लिक स्कूल, सेंट मैरी और एहल्कॉन पब्लिक स्कूल जैसे विद्यालय शामिल हैं।
लहरिया ने बताया कि मास्क की कोविड महामारी में एक निश्चित निवारक भूमिका है। जब वायरस नया था और लोगों को टीका नहीं लगाया गया था तो मास्क संक्रमण को फैलने से रोकने में सहायक था। उन्होंने कहा कि अब जब कोविड स्थानिक और सर्वव्यापी है तो संक्रमण को कम करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय के रूप में मास्क की सीमित भूमिका रह गई है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta