Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Corona काल में UK में क्या बदला और सर्दियों में एक बार फिर क्यों बढ़ा संक्रमण...

हमें फॉलो करें Corona काल में UK में क्या बदला और सर्दियों में एक बार फिर क्यों बढ़ा संक्रमण...
webdunia

वृजेन्द्रसिंह झाला

पूरी दुनिया कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर के चलते बहुत ही मुश्किल हालात से गुजर रही है। इसने लोगों को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक आदि मामलों में बुरी तरह प्रभावित किया है। ब्रिटेन (UK) कोविड-19 के चलते घरों से निकलने में डर रहे हैं। आखिर यूके में कोरोना केस एक बार फिर से बढ़ने के क्या कारण हैं और लोग इन परिस्थितियों में किस तरह जीवन जी रहे हैं, यही बता रहे हैं नेशनल हेल्थ सर्विसेस,यूके के डॉक्टर राजीव मिश्रा। 
 
जीवन शैली में दिखा काफी बदलाव : भारतीय सेना में मेजर रहे डॉ. मिश्रा वेबदुनिया से खास बातचीत में बताते हैं कि कोरोना के केसेस एक बार फिर बढ़ने के कारणों को ठीक-ठीक बता पाना तो किसी के लिए भी मुश्किल है। लेकिन, सबसे बड़ा फैक्टर यह है कि हर साल जाड़े में रेस्पिरेटरी वायरसों के केस बढ़ जाते हैं और इस साल भी बढ़े हैं। पर इस साल सबसे कॉमन स्ट्रेन कोरोना है।
 
ब्रिटेन में लोगों की लाइफ स्टाइल में आए बदलाव पर चर्चा करते हुए डॉ. मिश्रा कहते हैं यहां के लोगों की लाइफ बहुत बदल गई है। लोग घरों में बंद हैं, उनका बाहर निकलना नहीं हो पा रहा है। इसके आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भीषण हैं।
 
लोगों की नौकरियां गई हैं, लोगों का बाहर निकलना और मिलना-जुलना कम होने की वजह से मनोवैज्ञानिक तनाव बहुत बढ़ा है। बहुत से लोगों में शराब और नशे की प्रवृतियां बढ़ी हैं तो वहीं दूसरी ओर बहुत से लोगों ने नई रुचियां भी विकसित की हैं। लोगों ने नए तरह से काम करना, टेक्नोलॉजी का ज्यादा सक्षम प्रयोग करना शुरू किया है।
 
प्रत्यक्ष मीटिंग्स कम हुईं जूम मीटिंग्स और वेबिनार का प्रचलन बढ़ा है। बच्चों ने पढ़ाई के लिए भी टेक्नोलॉजी का प्रयोग और बढ़ा दिया है। इसमें से अनेक परिवर्तन कोरोना के खत्म होने के बावजूद बरकरार रहेंगे।
 
सरकार से मिली आर्थिक मदद : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि ब्रिटेन में सरकार ने सचमुच बहुत तेजी से काम किया है। ज्यादातर लोगों को, जिनकी आमदनी का नुकसान हुआ है, सरकार ने आर्थिक राहत दी है। इसके अलावा हर हॉस्पिटल ने कोरोना मरीजों को भर्ती करने और अस्पतालों में एक मरीज से दूसरे में संक्रमण रोकने के लिए स्पष्ट इन्फेक्शन कंट्रोल गाइडलाइंस बनाई हैं।
 
और, अब सबसे महत्वपूर्ण बात, कोरोना का वैक्सीन बनाने में सफलता मिल गई है और उसके ट्रायल्स के बाद उसके प्रयोग की अनुमति भी मिल गई है। कुछ विघ्नसंतोषी तत्वों ने नकारात्मकता फैलाने और मनोबल गिराने के प्रयासों में कसर नहीं छोड़ी है पर कुल मिलाकर सरकार ने स्थिति को संभाले रखा।
webdunia

‍चिकित्सा सुविधाएं कहीं भी पर्याप्त नहीं हो सकतीं : कोरोना काल में यूके की चिकित्सा सुविधाओं पर चर्चा करते हुए डॉ. मिश्रा बताते हैं कि चिकित्सा सुविधाएं कभी भी कहीं भी 'पर्याप्त' नहीं हो सकतीं। सामान्य काल में भी यहां अस्पतालों में और GP सर्जरी में लंबी वेटिंग लिस्ट होती है। पर अगर आपका यह पूछना है कि क्या कोरोना के हर मरीज को इमरजेंसी में इलाज मिला और क्या लोगों की मौत इलाज ना मिलने की वजह से हुई, तो मैं कहूंगा कि सामान्यतः चिकित्सा सुविधाएं इमरजेंसी से निबटने में सक्षम रही हैं। 
 
स्पेन और इटली में इसलिए ज्यादा हुआ असर : यूरोप में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देशों के बारे में डॉ. राजीव मिश्रा बताते हैं कि यहां स्पेन और इटली सबसे अधिक प्रभावित हुए। मैं इन दोनों देशों घूमा हूं और एक बात नोटिस की है कि सामान्यतः ये दोनों ही देश, बल्कि पूरा मेडिटेरेनियन यूरोप अलग मिजाज का है।

वहां लोग अधिक सोशल एक्टिविटी और एक दूसरे से मिलने-जुलने के आदी हैं और नियम मानने की वैसी प्रवृति नहीं है जैसी इंग्लैंड में है। उनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग क्यों कठिन रहा होगा यह समझ सकता हूं। जबकि, एक आम अंग्रेज़ यूं ही ज्यादा मिलता-जुलता नहीं है। लोगों के दरवाजे बंद रहते हैं और एक-दूसरे के घर आना-जाना कम ही करते हैं। पर इटली या स्पेन के लिए यह एक नई बात रही होगी।
 
‍वित्त मंत्री ऋषि सौनक ने किया अच्छा काम : डॉ. मिश्रा कहते हैं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव तो पड़ा है, पर इसका पूरा असर इसके खत्म होने और स्थिति सामान्य होने पर पता चलेगा। चांसलर ऑफ एक्सचेकर (वित्त मंत्री) ऋषि सौनक के लिए यह चमकने का समय रहा। उन्होंने लोगों को राहत भी दी, पर बेकार के दिखावटी खर्चे नहीं किए। शिक्षा पर खास असर नहीं पड़ा। एक साल परीक्षाएं नहीं हुईं और बच्चों को स्कूल के परफॉर्मेंस के आधार पर ग्रेड दे दिए गए। कुछ दिन स्कूल बन्द रहे और ऑनलाइन क्लास चलाई गईं। इसके अलावा शिक्षा पर वैसा कोई खास असर नहीं पड़ा।
 
इन क्षेत्रों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर : सबसे अधिक प्रभावित हुए रेस्टॉरेंट और पब। हॉस्पिटैलिटी और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्रीज के लिए समय बुरा रहा। टूरिस्टों का आना-जाना कम हुआ। पब यहां की रोजमर्रा की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वे सिर्फ शराब पीने की नहीं, लोगों के उठने-बैठने और मिलने-जुलने की जगह हैं। पबों का बंद होना यहां के आर्थिक और सामाजिक जीवन की महत्वपूर्ण रुकावट रही। दूसरा महत्वपूर्ण सेक्टर जो प्रभावित हुआ, वह था रिटेल्स...पर उसकी भरपाई ऑनलाइन शॉपिंग से कुछ हद तक हो गई।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

किसान आंदोलन पर कनाडा के रुख से भाजपा हैरान, उठाए सवाल