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100 साल में 60,000 का हो गया 18 रुपए का सोना, महिलाओं से लेकर निवेशकों तक गोल्ड क्यों है सबकी पसंद?

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नृपेंद्र गुप्ता

गोल्ड अर्थात सोना। एक ऐसी धातु जिसे देखकर हर व्यक्ति की आंखें चौंधियां जाती है। 1923 में 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 18.35 रुपए प्रति 10 ग्राम (तोला) थी। अगर उस समय आपके पूर्वजों ने मात्र 10 ग्राम भी सोना खरीदकर सहेज लिया होता तो आज आपको इसके 60,000 रुपए से ज्यादा मिलते। हालांकि उस समय देश गुलाम था, गरीबी भी चरम पर थी। बहरहाल समय के साथ-साथ सोने की चमक के साथी लोगों का रुझान भी बढ़ा। गहनों के मामले में सोना हमेशा से ही महिलाओं की पहली पंसद रहा है। शादी-ब्याह के सीजन में देश में सोने की मांग काफी बढ़ जाती है।
 
वित्त बाजार में इसे डेड एसेट माना जाता है। क्योंकि इसमें निवेश पर ना तो कोई ब्याज मिलता है और ना ही डिविडेंड। इसके बावजूद भी कई विशेषज्ञ इसे निवेशकों के पोर्टफलियो का अनिवार्य अंग मानते हैं। 
 
भारत को क्यों कहा जाता था सोने की चिड़िया : दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खदानें भले ही दक्षिण अफ्रीका में हों लेकिन भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। भारत ने यह सोना अन्य देशों से व्यापार से अर्जित किया था। उस समय भारत मसाले, कपास, रत्न और खाद्य पदार्थों के निर्यात में अव्वल था। मयूर सिंहासन से लेकर कोहिनूर हीरे तक बेशकीमती वस्तुओं ने दुनिया भर का मन मोह लिया। इसी सोने की वजह से दुनिया भर से आक्रांता भारत को लूटने आए। मुगल काल तक भारत सोने की चिड़िया बना रहा। हालांकि इसके बाद भी देश में सोने की कभी कमी नहीं रही।
 
ब्रिटिशराज में भी विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25% के बराबर था। जब अंगेज भारत को छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 से 3% रह गया था। भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यहां के मंदिर आज भी सोने से भरे पड़े हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने 2021 में अनुमान जताया था कि भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास है। इसमें से लगभग 3,000-4,000 टन सोना भारत  के मंदिरों में अभी भी है।
 
क्यों आसान नहीं सोना खरीदना : साल 1947 में प्रति व्यक्ति की सालाना आय 274 रुपए थी। इस तरह औसतन उसे हर माह उसे 22.83 रुपए मिलते थे। वहीं 1 तोला सोने की कीमत 88.62 रुपए थी, जिसके लिए उसे करीब 4 माह की तनख्वाह खर्च करना पड़ती। वर्ष 2023 के बजट में प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रुपए प्रति वर्ष बताई गई है। फिलहाल देश में सोने की कीमत 60,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक है। इस तरह अभी भी 10 ग्राम सोना खरीदने के लिए औसतन व्यक्ति को 4 माह की कमाई खर्च करना होती है।
 
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100 साल में सोना कितना सोणा : 1923 में 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 18.35 रुपए प्रति 10 ग्राम था। 1933 में पहली बार यह 24 रुपए के पार पहुंचा। 1942 में इसकी कीमत 44 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई। 1947 में यह 88 रुपए पर पहुंच गया और 1960 में पहली बार गोल्ड 100 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार  पहुंचा। 1974 में सोना ने 500 रुपए स्तर को पार किया तो 1980 में यह 1000 के पार पहुंच गया। इसी वर्ष यह कुलांचें भरता हुआ 1330 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। 1996 में सोने की कीमत 5160 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 2007 में सोना पहली बार 10 हजारी हुआ 2011 में सोना 26 हजारी हुआ। जुलाई 2020 में सोना पहली बार 50,000 पर पहुंचा था। मार्च 2023 में सोना 60 हजार के पार पहुंच गया।
 
सोने को क्यों माना जाता है सबसे सुरक्षित निवेश : भारतीयों को आदि काल से ही सोने में निवेश बेहद पसंद है। एक समय सोने और चांदी को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। लोग सोने के गहने खरीदना भी खूब पसंद करते थे। यह संपन्नता का प्रतीक था। हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा सोने के गहने खरीदना चाहता था। म्यूचुअंड, गोल्ड ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड सभी में निवेश के अलग अलग फायदे हैं। एक और इन गहनों से महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लग जाते तो दूसरी तरफ मुश्किल समय में इसे बेंचकर अच्छा पैसा भी मिल जाता था। फिर लोगों ने गहनों के बजाए 24 कैरेट गोल्ड में निवेश करना पसंद किया। हालांकि महिलाएं अभी भी सोने के गहने पहनना पसंद करती है लेकिन यह निवेश नहीं कहा जाता। अब बाजार में डिजिटल सोना भी उपलब्ध है।
 
सोने पर क्यों है लोगों का भरोसा : भले ही वित्त जगत सोने को डेड असेट मानता हो पर आज भी आज लोगों में सोने के प्रति मोह कम नहीं हुआ है। हर घर में महिलाओं के पास सोने का एक ना एक आभूषण तो मिल ही जाएगा। इसकी वजह है इस पीली धातु पर भरोसा। लोग मानते हैं कि सोना बुरे वक्त का साथी  होता है। मुश्किल हालात में इसे बेचकर या गिरवी रखकर आसानी से धन प्राप्त किया जा सकता है। साहूकारी के दौर में सोने को गिरवी रखकर पैसे देने का  काम जोरों पर होता था। आज भी कई बैंक सोने पर लोन देने का काम करती हैं। 
 
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का आंकलन इस बात से भी किया जाता है कि उसके पास कितना गोल्ड रिजर्व है। संकटकाल में बड़े-बड़े निवेशक जब शेयर बाजार या रिस्क मोड में पैसा नहीं लगाना चाहते तो सोने की तरफ भागते हैं। हाल ही में अमेरिका में आए बैंकिंग संकट की वजह से सोना किलकारी भरते हुए 60 हजारी हो गया।
 
युद्ध में देश के काम आया सोना : आजादी के बाद भारत ने कुल 5 लड़ाइयां लड़ीं। इनमें से 4 पाकिस्तान और 1 चीन के खिलाफ थीं। इन युद्धों के दौरान जान-माल के नुकसान के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा। यु्द्ध के मुश्किल दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्रियों की अपील पर देश को लोगों ने मुक्त हस्त से देश को दान‍ दिया। राजा-रजवाड़ों, कारोबारियों, मंदिरों के साथ ही आम लोगों ने भी खुले हाथों से सोने चांदी के आभूषण दान किए। कहा जाता है कि 1965 के युद्ध में तिरुपति मंदिर ने 125 किलो सोना दिया था। इस समय हैदराबाद के निजाम ने 425 किलो सोना नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश किया था।
 
सोने में निवेश के कई विकल्‍प : सोने में निवेश के लिए बाजार में कई विकल्‍प मौजूद हैं। आप सर्राफा बाजार से सोने के गहने, सिक्‍के या बिस्किट खरीद सकते हैं। गोल्‍ड सेविंग फंड्स और गोल्‍ड ETF से सोने की यूनिट खरीदी जा सकती है। इसके अलावा आप सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍डस में भी निवेश किया जा सकता है।  
 
सोना खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान : भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS का हॉलमार्क सोने की शुद्धता सुनिश्चित करता है। वर्तमान में देश में 18, 22  और 24 कैरेट का सोना मिल रहा है। सबसे ज्यादा शुद्ध सोना 24 कैरेट का ही माना जाता है। सोने की ज्वेलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्जेस जानना बेहद जरूरी है। ये शुल्क गहनों की लागत का 30 प्रतिशत तक हो सकते हैं। सोना खरीदते समय उसका वजन जरूर चेक करें और इसका बिल भी जरूर लें।
 
कंज्युमर अफेयर्स की अतिरिक्त सचिव निधि खरे ने बताया कि 31 मार्च 2023 के बाद 6 अंक के अल्फान्यूमेरिक संख्या के आभूषणों को ही बेचा जाएगा। अब तक सोने के आभूषणों में 4 अंक के HUID (हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन) हॉलमार्क के रूप में इस्तेमाल हो रहे थे। इसका मतलब है कि 1 अप्रैल से आप ज्वैलरी खरीदने जाएं तो BIS हॉलमार्क के साथ ही अब 6 अंकों की अल्फान्यूमेरिक आईडी के होने को सुनिश्चित करें। 
 
MCX पर सोना : देश में कमोडिटी एक्सचेंज MCX पर सोने में सबसे ज्यादा कारोबार होता है। यह हर दिन करीब 15,000 सौदे होते हैं और प्रतिदिन करीब 4500 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। MCX पर सोने में कई तरह के कॉन्ट्रेक्ट मौजूद हैं, इनमें बिग गोल्ड, गोल्ड मिनी, गोल्ड गिनी, गोल्ड पेटल शामिल हैं।
 
MCX पर लंबे समय से सोने के कॉन्ट्रेक्ट कर रहे आशु अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल सोने में तेजी का माहौल है। आने वाले 10 से 15 दिनों में यह 61,500 के स्तर पर पहुंच सकता है। 
 
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कितना सोना रख सकते हैं अपने पास : आयकर जांच के दौरान विवाहित महिला के पास 500 ग्राम, अविवाहित महिला के पास 250 ग्राम तथा पुरुषों के पास उपलब्ध 100 ग्राम तक के स्वर्ण आभूषणों को जब्त नहीं किया जाएगा। संशोधित आयकर कानून के तहत पैतृक आभूषण और स्वर्ण पर कर नहीं लगेगा। साथ ही घोषित आय या कृषि आय से खरीदे गए सोने पर भी कर नहीं लगेगा।
 
सोने पर कौन-कौन से टैक्स : सराफा कारोबारी संजय अग्रवाल ने बताया कि सोना खरीदते और बेचते समय 3 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसमें 1.5 प्रतिशत CGST और 1.5 प्रतिशत SGST लगता है। हालांकि 1 अप्रैल से देश में फिजिकल गोल्ड को डिजिटल में बदलने पर कैपिटल गैन टैक्स नहीं लगेगा। इस पर आपको कैपिटल गैन टैक्स नहीं चुकाना होगा। अब तक लोगों को इस पर कैपिटल गैन टैक्स देना होता था। इससे डिजिटल सोने में निवेश बढ़ सकता है।
 
अलग-अलग जगह अलग-अलग भाव क्यों : संजय ने बताया कि सराफा एसोसिएशिनों की वजह से देशभर में सोने के भाव में अंतर आता है। यह मोनोपाली का खेल है। कई लोग है जो सभी कैरेट में डील करते हैं तो कई व्यापारी केवल एक निश्चित कैरेट में ही सोना बेचना पसंद करते हैं। इसी वजह से ग्राहक भी धारणा बना लेता है कि वहां सोना अच्छा ही मिलता है। रेट के डिफरेंस के पीछे दलाल भी एक कारण है। किसी के पास स्टॉक है, उसने कम में दे दिया तो दलाल भी आपको कम दाम में दे देगा। व्यक्ति जिस तरह से खरीदता है उसी अनुसार बेचता है। यह क्वांटिटी, परचेसिंग और सेलिंग पर निर्भर करता है। दुबई में सोना इसलिए सस्ता है क्योंकि वहां उत्पादन ज्यादा है।   

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