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सीनियरों की विदाई से पहले तैयारी जरूरी

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-प्रदीप कुमार

मोहाली में भारत के सामने ऑस्ट्रेलियाई टीम धूलधूसरित दिखी। रनों के हिसाब से यह भारत की सबसे बड़े अंतर वाली टेस्ट जीत रही। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलियाई टीम को 18 साल के इतिहास में पहली बार इतनी बुरी हार का सामना करना पड़ा।

अरसे से ये दोनों टीमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे को बराबरी का टक्कर देती रही हैं। दोनों टीमें जब भी आपस में भिड़ती हैं, रोमांचक क्रिकेट की उम्मीद बंधती है। ऐसे में मोहाली में अचानक ऐसा क्या हुआ, जिसके चलते दोनों टीमों का अंतर इतना बढ़ गया।

सरसरी तौर पर देखें तो लगता है कि भारतीय बल्लेबाजों खासकर सहवाग, सौरव गांगुली और सचिन ने बढ़िया खेल दिखाया। गेंदबाजों ने अपना काम बखूबी किया, जबकि ऑस्ट्रेलियाई टीम की लिए ये दोनों काम मुश्किल भरे हो गए।

हालाँकि क्रिकेट के जानकार इस टेस्ट मैच के परिणाम को दोनों टीमों के बीच बुनियादी अंतर से जोड़कर भी देख रहे हैं। टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताकत टीम के सीनियर खिलाड़ी साबित हुए, जबकि अपने दिग्गजों की विदाई के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम कमजोर हुई है।

मोहाली में साफ दिखा कि कैसे तेंडुलकर, गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण की उपस्थिति टीम को एक मजबूत आधार देने का काम करती है। सीरीज से पहले अपने इन्हीं खिलाड़ियों को टीम में जगह देने पर खासा विवाद छिड़ा हुआ था, जबकि हकीकत में हम ऐसे खिलाड़ियों के विकल्प अब तक नहीं तलाश पाए हैं।

बहरहाल, मोहाली की जीत से इतना फायदा तो जरूर होगा कि फिलहाल टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ियों को बाहर हटाने की चर्चा कम होने लगेगी। हालाँकि पिछले एक साल में इन बल्लेबाजों का प्रदर्शन अपनी ख्याति के अनुरूप नहीं रहा।

बढ़ती उम्र और फिटनेस की समस्या के चलते इन्हें कई मुकाबलों से बाहर भी रहना पड़ा। खराब फॉर्म और लगातार पड़ रहे दबावों का ही असर रहा कि सौरव गांगुली ने अपने संन्यास की घोषणा कर दी, लेकिन पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा मानते हैं कि इन क्रिकेटरों में अब भी काफी क्रिकेट बाकी है।

वे कहते हैं कि बेंगलुरु टेस्ट में फैब फोर बल्लेबाजों ने ही भारत के लिए टेस्ट बचाया। यह सही है कि इनकी उम्र बढ़ रही है, फिटनेस साथ नहीं दे रही है लेकिन मौजूदा हालात में हमारे पास इसके विकल्पों का अभाव है। जडेजा की राय में तेंडुलकर और द्रविड़ में तो अगले दो-तीन साल तक खेलने का माद्दा है।

हालाँकि लक्ष्मण की फिटनेस को देखते हुए उन्हें लगता है कि एक बेहतरीन क्रिकेटर पर खराब फिटनेस भारी पड़ रही है। वैसे यह तय है कि हमें घरेलू स्तर पर इन बल्लेबाजों की जगह लेने वाला कोई बल्लेबाज नहीं दिखता। एक रोहित शर्मा का चेहरा सामने आता है, बस। इसी कमी की ओर इशारा करते चेतन चौहान कहते हैं, सचिन-द्रविड़ ही नहीं लक्ष्मण का विकल्प भी हमारे पास नहीं है।

इन बल्लेबाजों का खराब दौर बीत चुका है और यह हर क्रिकेटर को देखना पड़ता है। वहीं भारतीय टीम के मैनेजर रहे लालचंद राजपूत भी मानते हैं कि अभी तो समय नहीं आया है जब इन बल्लेजाबों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। वे कहते हैं, सचिन-द्रविड़ के लिए तो अभी रिटायरमेंट का सवाल ही नहीं उठता। ये दोनों फिटनेस और फॉर्म के बूते लंबे समय तक टीम में बने रहे सकते हैं।

जडेजा का मानना है कि फैब फोर से दर्शकों की लगातार अपेक्षाएँ बढ़ती जा रही हैं। दर्शक अपने स्टार बल्लेबाजों से हर मैच में शतकीय पारी लगाने की उम्मीद करता है जो मैदान में संभव नहीं है। बहरहाल, यह तय है कि गांगुली के संन्यास लेने से तेंडुलकर, द्रविड़ और लक्ष्मण पर भी दबाव बढ़ा होगा।

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