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कर्स्टन हो सकते हैं उपयोगी कोच

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शराफत खान

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने दक्षिण अफ्रीका के धाकड़ बल्लेबाज गैरी कर्स्टन को भारतीय टीम के कोच पद ऑफर किया है। यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि इस बार बोर्ड ने इंटरव्यू का ढोंग नहीं किया। बोर्ड को शायद यह समझ में आ गया है कि जरूरी नहीं कि लैपटॉप पर प्रजेंटेशन देने वाला कोच मैदान पर भी सफल हो। दूसरे शब्दों में ग्रेग चैपल के साथ हुए अनुभव से बोर्ड ने सीख ली।

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यह अच्छा ही हुआ कि बिना किसी लंबे तामझाम के अंदरूनी तौर पर राय लेने के बाद गैरी कर्स्टन का नाम कोच पद के लिए फाइनल कर लिया गया। अलग-अलग प्रतिभाओं में आपस में कोई तुलना नहीं होती, बोर्ड ने पिछली बार यही गलती की थी। कोच पद के लिए कई धुरंधरों को बुलाया गया, उनमें से प्रजेंटेशन के आधार पर ग्रेग चैपल को कच बनाया गया था।

कर्स्टन एक धाकड़ सलामी बल्लेबाज रहे हैं और वे पारी शुरू करना बेहतर जानते हैं। एशिया उपमहाद्वीप के बाहर भारतीय बल्लेबाज ऑफ स्टंप के बाहर जाती हुई गेंदों पर कमजोर हैं, यह बात सभी जानते हैं, कर्स्टन इस मामले में बहुत उपयोगी साबित होंगे। वे खुद आक्रामक और बेजोड़ तकनीकी बल्लेबाज रहे हैं और ओवरसीज की कंडीशन बहुत अच्छी तरह समझते हैं। इसके अलावा कर्स्टन कोचिंग में इतना बड़ा नाम नहीं है, वे खुद को कोच के रूप में स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

भारतीय खिलाड़ियों को फिलहाल किसी को कोच बनाने पर ऐतराज है। दरअसल खिलाड़ी नहीं चाहते कि अभी कोई कोच टीम से जुड़े। वजह क्या हो सकती है? खिलाड़ियों का कहना है कि टीम फिलहाल अच्छा खेल रही है और उसे कोच की जरूरत नहीं है। वाह....क्या बहाना है? मतलब कोई स्टूडेंट यह कहे कि उसे टीचर की जरूरत नहीं है, वह किताब से पढ़ लेगा। इससे यह पता नहीं चलता कि स्ट़ूडेंट बहुत समझदार है, उसे टीचर की जरूरत नहीं, बल्कि यह मालूम होता है कि भले ही वह पास होता आया है, लेकिन अब तक उसने टीचर की अहमियत ही नहीं समझी।

दरअसल भारतीय खिलाड़ी इसलिए कोच पर ऐतराज कर रहे हैं कि उन्हें मालूम है कि कोच के आते ही उनकी मटर गश्ती जो वे अभी कर रहे हैं, खत्म हो जाएगी। कोच खिलाड़ियों को असाइंमेंट देगा, जिससे उनकी आजादी खत्म हो जाएगी। अगर खिलाड़ी यह समझते हैं कि पाकिस्तान को हराकर टीम को कोच की जरूरत नहीं है तो यह उनकी भूल है। ऑस्ट्रेलिया टीम चार बार विश्व चैंपियन बनने के बाद भी यह नहीं कह सकती कि हमारे लिए सीखने को कुछ नहीं बचा या हमें कोच की जरूरत नहीं है तो फिर हम कमजोर पाकिस्तान को हराकर यह कहकर अपना मजाक बना रहे हैं।

कर्स्टन दक्षिण अफ्रीका टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। उन्होंने प्रोफेशनल क्रिकेट और उसमें आए बदलाव को करीब से देखा है। यह मौका है कि हमारे खिलाड़ी उनसे प्रोफेशनल क्रिकेट के गुर सीख लें।

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