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युवराज सिंह : मैदान में लौटने को बेकरार

- बेवदुनिया डेस्‍क

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ारतीय क्रिकेट टीम में युवराज सिंह का नाम आते ही मन में एक स्‍टाइलिश प्‍लेयर की तस्‍वीर बनती है। अगले ही पल कई और तस्‍वीरें उभर के आ जाती हैं। जैसे 2007 के ट्वेंटी-20 विश्‍वकप में एक ओवर में धुआंधार छ: छक्‍के बरसाते हुए 12 गेंदों में अर्द्धशतक जड़ना या लॉर्ड्स के मैदान पर कैफ के साथ खेली गई वो यादगार पारी।

युवराज सिंह कैंसर जैसी भयानक बीमारी से लड़कर मैदान में लौटने को तैयार हैं। उन्हें श्रीलंका में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए बुधवार को घोषित टीम इंडिया के 30 संभावितों में शामिल किया गया है।

युवराज सिंह भारत के बेहतरीन फिनिशर हैं। गौतम गंभीर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि हमें युवी का टीम में वापसी का इंतजार है। गौतम ने कहा कि युवी ने भारत को जितने मैच जितवाए, इतने मैच हममें से किसी ने भी नहीं जितवाए हैं।

बाएं हाथ का यह बल्लेबाज सबसे पहले वर्ष 2000 में तब उभर के आया, जब मोहम्‍मद कैफ के नेतृत्‍व में टीम इंडिया अंडर-19 विश्‍व कप जीता थ। युवराज उसी टीम का हिस्‍सा थे। उसके बाद अपने दूसरे अंतरराष्‍ट्रीय मैच में ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ 82 गेंदों में 85 रन बनाकर युवी भारतीय टीम का सितारा बन गए। इसके अलावा ऑल राउंडर युवराज दुनिया के पांच अच्‍छे फिल्‍डरों में भी शुमार हैं।

वर्ल्‍डकप 2011 में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे युवी का वर्ल्‍डकप जीतने का खुमार अभी उतरा भी नहीं था और उनके बाएं फेफडे़ में कैंसर हो गया। तभी से वे क्रिकेट से दूर हैं। अब युवराज पूरी तरह से ठीक हैं और जल्‍द से जल्‍द मैदान पर आना चाहते हैं। साथ ही उनके प्रशंसक भी उन्‍हें मैदान पर चौके-छक्‍के जड़ते देखने को बेताब हैं। युवराज सिंह की कुछ वनडे पारियां लाजवाब हैं।

युवी की यादगार पारियों की बात करें तो 14 नवंबर 2008 को राजकोट में इंग्‍लैंड के खिलाफ नाबाद 138 रनों की पारी को कौन भूल सकता है। युवराज ने मात्र 78 गेंदों में 138 रन बनाए थे। चौकों-छक्‍कों की बारिश करते हुए युवी ने मैच में 16 चौके और 6 छक्‍के जडे़ थे।

17 नवंबर 2008 को सिरीज के अगले ही मैच में इंदौर में उन्‍होंने 118 रनों की शानदार पारी खेली थी। जिसमें उन्‍होंने 15 चौके और 2 छक्‍के लगाए थे।

26 जून 2009 को जमैका में वेस्‍टइंडीज के खिलाफ अपना रौद्र रूप दिखाते हुए युवी ने 125 गेंदों में 131 रन बनाए। पारी में उन्‍होंने 7 छक्‍के और 10 चौके लगाए थे। 3 फरवरी 2009 को कोलंबो में 117 रनों की आतिशी पारी में मात्र 95 गेंदों में 17 चौके और एक छक्‍के की मदद से यह स्‍कोर बनाया। युवी के तूफान के आगे श्रीलंकाई टीम टीक नहीं सकी। भारत ने यह मैच 147 रनों से जीता था।

13 जुलाई 2002 का वह दिन जब युवराज की लॉर्ड्स में नेटवेस्‍ट सिरीज के फाइनल में खेली गई उस पारी को कैसे भूल सकते हैं जिसमें युवराज और कैफ के बदौलत ही भारत फाइनल मैच जीत पाया था। उस मैच में युवराज ने 63 गेंदों में 9 चौकों और एक छक्‍के की मदद से 69 रनों की पारी खेली थी।

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