बारबोडस, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, नॉटिंघमशायर, वेस्टइंडीज
बाएँ हाथ के बल्लेबाज, लेफ्ट आर्म, स्पिन और चायनामेन गेंदबाज, तेज-मध्यम गेंदबाज, उत्कृष्ट निकट के क्षेत्ररक्षक
क्रिकेट के इतिहास में सर्वकालीन महान संपूर्ण हरफनमौला खिलाड़ी अगर कोई जन्मा है तो वह सर गारफील्ड सोबर्स हैं। डब्ल्यूजी ग्रेस को जहाँ क्रिकेट का पितामह और निर्माता माना जाता है, वहीं सोबर्स को क्रिकेट को नई ऊचाइयाँ देने के लिए याद किया जाता है। जिस श्रेष्ठता और संपूर्णता से उन्होंने खेल की हर विधा बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण को अति-आकर्षक बनाया, उसे आज भी याद कर क्रिकेटप्रेमी दांतो तले उंगली दबाते हैं।
दोनों ही हाथों में पाँच-पाँच उंगलियाँ लिए जन्मे गैरी सोबर्स ने अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट कॅरियर लेफ्ट आर्म स्पिनर के रूप में 16 वर्ष की उम्र में 1953 में शुरू किया और अगले ही वर्ष 1954 में उन्होंने वेस्टइंडीज के लिए टेस्ट खेला। टीम में अभी भी उनकी हैसियत लेफ्ट आर्म गेंदबाजी की थी, लेकिन वह बल्लेबाज के रूप में अपने आपको स्थापित करने के प्रयास में लग गए थे और 4 वर्ष बाद ही 1957-58 में उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध किंगस्टन में न सिर्फ अपने टेस्ट जीवन का पहला, वरन् तिहरा शतक 365* का लगाया, जो कि उस समय का विश्व रिकॉर्ड था। 1938 में सर लेन हटन द्वारा बनाए गए 364 से 1 रन ज्यादा।
सोबर्स ने एक गेंदबाज की हैसियत से लेग स्पिन, गुगली, चायनामेन और मध्यम-तेज गति की गेंदबाजी बड़ी कुशलता और सिद्धहस्तता से की, उनकी सीम बॉलिंग से दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज चकमा खा जाते थे। उसी तरह वह कवर्स के क्षेत्र में असाधारण क्षेत्ररक्षक रहे और बढ़ती उम्र के साथ उन्होंने स्लिप और फिर शॉर्ट लेग पर शानदार क्षेत्ररक्षण भी किया।
कप्तान के रूप में सोबर्स बहुत ही बोल्ड माने जाते थे और हर तरह का खतरा उठाने को तैयार रहते थे। 1967-68 में इंग्लैंड के विरुद्ध श्रृंखला के पहले तीन टेस्ट मैचों को जो कि बहुत ही नीरस रूप से ड्रॉ हुए थे, उन्होंने चौथे टेस्ट मैच में इंग्लैंड को चौथी पारी में जीत के लिए पारी घोषित करते हुए 165 मिनटों में 215 रनों का लक्ष्य दे डाला, जिसे इंग्लैंड ने हासिल कर लिया।
इस बात पर सोबर्स की जमकर खिंचाई हुई और क्रिकेट समीक्षक और आलोचकों ने उन्हें जान-बूझकर मैच फेंकने वाला घोषित कर डाला, लेकिन उन्हीं समीक्षकों और आलोचकों को थोड़े दिन पश्चात् ही सोबर्स को पुनः महान घोषित करने के लिए विवश होना पड़ा जब उन्होंने अकेले ही श्रृंखला के अंतिम टेस्ट मैच में बेमिसाल हरफनमौला प्रदर्शन करते हुए पहले बल्ले से 152 और 95 रनों की पारी खेली और फिर गेंद से पहली पारी में 72 रन देकर 3 और दूसरी पारी में 53 रन देकर 3 विकेट लिए और अकेले ही इंग्लैंड की टीम को नतमस्तक करते हुए श्रृंखला को 1-1 की सम्मानजनक स्थिति में समाप्त करवाया।
सोबर्स के नाम एक और ख्यातनाम यादगार कारनामा दर्ज है जो उन्होंने इंग्लिश काउंटी में नॉटिंघमशायर के लिए ग्लैमरगॉन के विरुद्ध मध्यम-तेज बाएँ हाथ के गेंदबाज मेलकम नॉश की लगातार एक ओवर की 6 गेंदो पर 6 छक्के लगाकर किया। इस रिकॉर्ड को बाद में भारत के रवि शास्त्री ने लेफ्ट आर्म स्पिनर गेंदबाज बड़ौदा के तिलकराज की 6 गेंदो पर 6 छक्के लगाकर 1985 में बराबर किया। सोबर्स के रिकॉर्ड कुछ भी कहें, लेकिन जिन्होंने भी उन्हें खेलते देखा है उनका मानना है कि क्रिकेट के इतिहास में ऐसा हरफनमौला क्षमता वाला खिलाड़ी आज तक दूसरा पैदा नहीं हुआ है।
टेस्ट कॅरियर रिकॉर्ड : 93 टेस्ट, 160 पारियाँ, 21 नॉट-आउट, 365 उच्चतम स्कोर नाबाद, 8032 रन, 57.78 औसत, 26 शतक, 30 अर्द्धशतक, 109 कैच, 21599 गेंदे, 7999 रन, 235 विकेट, 34.03 औसत, 67.3 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी, 6 बार पारी में 5 विकेट
प्रथम श्रेणी कॅरियर रिकॉर्ड (1952-1974) : 383 मैच, 609 पारियाँ, 93 नॉट-आउट, 365 उच्चतम स्कोर, 28315 रन, 54.87 औसत, 86 शतक, 407 कैच, 28941 रन, 1053 विकेट, 27.74 औसत, 9-49 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी, 36 बार पारी में 5 विकेट, 1 बार मैच में 10 विकेट।