बर्मिंघम। दक्षिण अफ्रीका को आईसीसी टूर्नामेंटों में निर्णायक मौकों पर लड़खड़ाने के लिए चोकर्स कहा जाता है, लेकिन इस विश्वकप में टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। विश्वकप में मौके गंवाने की प्रेतबाधा से मुक्त होना मुश्किल हो रहा है। उसके पास अब 3 मैच बचे हैं और उसकी उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी हैं। कोई चमत्कार ही उसकी उम्मीदों को जिंदा कर सकता है।
दक्षिण अफ्रीका जैसी टीम से किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह विश्व कप के मंच पर इतना खराब प्रदर्शन करेगी। दक्षिण अफ्रीका को बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा और इस हार के लिए दक्षिण अफ्रीका खुद जिम्मेदार है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने कैच छोड़े, रन आउट छोड़ा, डीआरएस नहीं लिया और बाउंड्री पर खराब फील्डिंग की जिसका फायदा उठाकर न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन ने मैच विजयी शतकीय पारी खेल डाली।
डेविड मिलर ने विलियम्सन को नॉन स्ट्राइकर छोर पर रनआउट करने का सुनहरा मौका गंवाया। वह थ्रो को नहीं पकड़ सके और उन्होंने अपने दाएं पैर से बेल्स गिरा दी। इससे पहले मिलर ने कोलिन डी ग्रैंडहोम को रनआउट करने का मौका गंवाया जब उनका स्कोर मात्र 14 रन था। मिलर ने ही लेग स्पिनर इमरान ताहिर की गेंद पर ग्रैंडगोम का कैच छोड़ा था। दक्षिण अफ्रीका ने इस मुकाबले में मैच जीतने के जितने मौके गंवाए उसे देखते हुए यह टीम जीत की कतई हकदार नहीं थी।
दक्षिण अफ्रीका का विश्वकप इतिहास ऐसे ही दु:स्वप्न से भरा पड़ा है। 1992 के विश्वकप में पहली बार खेलते हुए दक्षिण अफ्रीका को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में बारिश ने रुला दिया था। दक्षिण अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रन की जरुरत थी कि तभी बारिश आ गई। बारिश रुकने के बाद जब खेल शुरू हुआ तो डकवर्थ लुइस नियम के तहत दक्षिण अफ्रीका को एक गेंद पर 22 रन बनाने थे जो असंभव था।
11 वर्ष बाद अपनी मेजबानी में 2003 के विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका को श्रीलंका के खिलाफ वर्षा बाधित मुकाबले में जीतने के लिए अंतिम 2 गेंदों पर 7 रन की जरुरत थी। मार्क बाउचर ने एक गेंद पर छक्का मारा और अगली गेंद पर कोई रन नहीं बना सके। लक्ष्य 230 रन का था और दक्षिण अफ्रीका के 229 रन बने जिससे मैच टाई हो गया। 1999 के विश्वकप में एलेन डोनाल्ड के रन आउट होने से दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया जबकि 2011 में मीरपुर में एबी डीविलियर्स का रन आउट होना दक्षिण अफ्रीका को भारी पड़ गया।
न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में विलियम्सन 76 पर थे और टीम को अभी 70 रन की जरुरत थी। ताहिर की गेंद विलियम्सन के बल्ले का महीन किनारा लेकर विकेटकीपर के दस्तानों में चली गई। ताहिर ने अपील की लेकिन विकेटकीपर क्विंटन डी कॉक खामोश रहे। कप्तान फाफ डू प्लेसिस ने भी डीआरएस के बारे में नहीं सोचा।
एक मिनट बाद टीवी स्क्रीन पर दिखाया गया कि बल्ले का अल्ट्रा एज था और दक्षिण अफ्रीका के हाथ से सुनहरा मौका निकल गया। दक्षिण अफ्रीका के लिए विश्वकप में मौके गंवाने की प्रेतबाधा से मुक्त होना मुश्किल हो रहा है। उसके पास अब 3 मैच बचे हैं और उसकी उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी हैं। कोई चमत्कार ही उसकी उम्मीदों को जिंदा कर सकता है।