केंद्र सरकार द्वारा निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की खबर से इसके यूजर्स सहित दुनियाभर में मार्केट सेंटीमेंट में घबराहट से अधिकतर क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट देखने को मिल रही है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी के करोड़ों यूजर्स हैं, जो इस बिल के कानून बनने से प्रभावित हो सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 समेत कुल 26 विधेयक पेश किए जाएंगे। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल 10वें नंबर पर है।
इसके अनुसार क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ ढील भी दे सकती है। हालांकि किस क्रिप्टोकरेंसी को ढील मिलेगी, ये अभी साफ नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार का मंतव्य रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए सुविधाजनक फ्रेमवर्क प्रदान करना है।
उल्लेखनीय है कि सरकार के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रेगुलेशन नहीं होने से इसका उपयोग टेरर फंडिंग और कालेधन की आवाजाही में हो रहा है।
दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अलग-अलग कानून हैं, जैसे भारत में तो रिजर्व बैंक ने इस पर बैन लगा रखा था, लेकिन अमेरिका, द. कोरिया और अफ्रीका के कई देश इसके अनुकूल स्कीम बना रहे हैं। सेंट्रल अमेरिका के अल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 8 जून 2021 को बिटकॉइन कानून पास किया और यह छोटा सा देश बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
क्या फर्क होगा डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में : यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रीब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है जिससे क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होती है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में बहुत उतार-चढ़ाव होता है और इसके नफे-नुकसान के प्रति कोई जिम्मेदार नहीं होता है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC देश की फिएट करेंसी (जैसे रुपया, डॉलर या यूरो) का एक डिजिटल संस्करण है। यदि RBI डिजिटल करेंसी जारी करता है तो इसे सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी का समर्थन होता है। सीधे शब्दों में डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होगी।