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नोटबंदी : विदेशी मीडिया के निशाने पर सरकार

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हमें फॉलो करें नोटबंदी : विदेशी मीडिया के निशाने पर सरकार
, गुरुवार, 29 दिसंबर 2016 (12:26 IST)
पीएम मोदी द्वारा 8 सितंबर को किए गए नोटबंदी के एलान की देश ही नहीं वरन विदेश में भी खूब चर्चा हो रही है। भारत में नोटबंदी के बाद लोगों के सामने आती मुश्किलों को लेकर दुनिया के अन्य समाचार पत्रों के साथ-साथ वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख छपा है। इस लेख के अनुसार मोदी ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए नोटबंदी की थी, लेकिन अब तो नए नोटों से ही भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं।
ब्रिटेन के प्रसिद्ध समाचार पत्र 'द गार्डियन' ने अपने संपादकीय में लिखा है '... गार्जियन का नजरिया' है कि मोदी के 'इस कदम से देश भर में अफरा-तफरी फैली' है। पत्र का कहना है कि नीति के लागू होने के हफ्तेभर में दर्जन भर लोग अपनी जान गंवा चुके हैं...भारत में नोटबंदी नई पहल नहीं हैं। वर्ष 1978 में भी सरकार ऐसे क़दम उठा चुकी है। मोदी की इस नोटबंदी योजना की आलोचना में कहा गया है कि गति और परिणाम काफी कुछ पहले की तानाशाहियों के असफल हुए प्रयोगों से मिलते-जुलते हैं।
 
अखबार ने अपनी आलोचना में यह भी लिखा है कि पुराने प्रयोगों से मंहगाई बढ़ी, मुद्रा गिरी और जनता को अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए सड़कों पर आना पड़ा...मोदी सरकार को भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पुरानी पड़ चुकी टैक्स प्रणाली को अपडेट करना चाहिए था, लेकिन धीरे-धीरे और लगातार किए जाने वाले सुधार अख़बारों की सुर्खिया नहीं बनते हैं।
 
गार्जियन ने आगे लिखा है कि इस तरह के सुधार आने वाले राज्यों के चुनावों में अपने राजनीतिक विरोधियों पर फौरन वार नहीं करते हैं लेकिन इनका संभावित असर बाद में हो सकता है। अखबार का कहना है यह उपाय मोदी ने अपनी हिन्दू राष्ट्रवादी छवि बदलने की कोशिश में उठाया है। अमेरिका और ब्रिटेन से एक साथ प्रकाशित होने वाले हफिंगटन पोस्ट ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को जगह दी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से कहा है कि, 'नोटबंदी की समस्या बहुत गंभीर है, सड़कों पर दंगे हो जाएंगे।'
 
हफिंगटन पोस्ट ने मोदी सरकार के इस कदम को देश में अभिजात्य वर्ग की सबसे खराब शक्ल का बताया है। पोस्ट के अनुसार इस कदम ने 'उनके के खिलाफ हम' की स्थिति बना दी है। हफिंगटन पोस्ट ने भारतीयों को ऐसे 13 तरीके भी बताएं हैं जिनको अपनाकर काले धन को नोटबंदी के बाद सफेद किया जा सकता है। पोस्ट के अनुसार भारत में लोग सबसे ज्यादा इस बात पर गूगल कर रहे हैं कि, 'काले धन को सफेद कैसे किया जाए।' सबसे ज्यादा इस विषय पर सर्च प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात से दर्ज हुई हैं।
 
हफिंगटन पोस्ट ने नोटबंदी के कारण जान गंवाने वाले वाले 55 लोगों की सूची भी प्रकाशित की है और लिखा है कि नोटबंदी से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं और इस सच्चाई से केंद्र सरकार इंकार नहीं कर सकती है। अल जजीरा ने कहा है कि सरकार के एकाएक निर्णय ने लाखों लोगों को कैशलेस कर दिया है।
 
वॉशिंगटन पोस्ट का कहना है कि नोटबंदी ने सोने की खरीददारी को बहुत प्रभावित किया है। नोटबंदी के पहले हफ्ते में लोगों ने भारी मात्रा सोना खरीदा और अब इस हफ्ते सोना की खरीददारी में भारी गिरावट आई है। पोस्ट के मुताबिक कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम की सराहना भी की है।
 
लेख में उन सब मामलों का जिक्र किया गया है जिसमें नए नोटों के पकड़े जाने की खबरें हैं। साथ ही बताया गया है कि जिस स्पीड से नोट छप रहे हैं उससे नोटों की कमी आने वाले तीन महीनों में जाकर खत्म होगी। लेख में इनकम टैक्स विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों का जिक्र है। लिखा गया है कि बुधवार को ही बताया गया था कि 202,200,000 रुपए के 2000 के नए नोट पकड़े जा चुके हैं। वहीं सिर्फ कर्नाटक और गोवा में 36 केस रजिस्टर हो चुके हैं। वहां से नकद के अलावा ज्वेलरी और सोना भी बरामद हुआ था, जिसकी कीमत 10 अरब रुपए से भी ज्यादा होगी।
 
पोस्ट के लेख में इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं कि अगर भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है तो फिर कुछ लोगों को लाइनों में भी लगकर कैश क्यों नहीं मिल रहा और कुछ के पास नए करेंसी के अंबार निकल रहे हैं? साथ में भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारियों के पकड़े जाने का भी जिक्र किया गया है जोकि सीनियर स्पेशल असिस्टेंट के पद पर था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि वह एक जूनियर कर्मचारी था।
 
इस लेख में आज तक के उस स्टिंग ऑपरेशन का भी जिक्र किया गया है जिसमें रिपोर्टर बिजनेसमैन बनकर दिल्ली एनसीआर में कई पार्टियों के छोटे मोटे नेताओं से मिले थे जिसमें ये लोग 30-40 परसेंट हिस्सा लेकर पैसा बदलवाने का भरोसा दे रहे थे। हालांकि इस स्टिंग में किसी भी भाजपा नेता का नाम नहीं आया था। लेख में बंगाल के उस भाजपा नेता का भी जिक्र था जो कि 33 लाख के नए नोटों के साथ पकड़ा गया था।

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