-मेनका गाँधी
हिरण की हत्या करना आसान है। इसकी कौन परवाह करता है कि उनकी संख्या कम हो रही है? कामोद्दीपक औषधि बनाने वाला उद्योग किसी और पशु को अपना निशाना बना लेगा और कुछ आसानी से लुभाए जा सकने वाले चिकित्सकों की सहायता से मीडिया द्वारा उनके लिए कोई कहानी गढ़ लेगा।
मैं एक ऐसे नेता को जानती हूँ जिसे मैं जेल में देखना चाहती हूँ। वह हिरन की खाल की चप्पलें पहनता है, जो उसके पुत्र द्वारा अवैध रूप से मारे गए हिरनों से बनाई जाती हैं।
हिरण के सींग का उपयोग अनुष्ठानों, सजावट तथा 'दवा' के लिए किया जाता है। इसके साथ ही कार अथवा रेल दुर्घटनाओं, रोग, पैरासाइट, भूख, सामान्य भक्षण और फिर भूमि को बड़े पैमाने पर साफ किए जाने एवं वनों की हानि को भी देखें। फिर हमें अपने को सिर्फ यह याद दिलाना पड़ेगा कि भगवान ने इन खूबसूरत, कोमल, सौम्य पशु को उनके झाड़ दिए हैं। थोड़े ही समय में हमारे सारे हिरन समाप्त हो जाएँगे।
पश्चिमी देशों में उनके शिकार की अनुमति है। चीन में 'दवा' के लिए उनकी हत्या की जाती है, क्योंकि वे तो सभी जीवों की हत्या करते हैं। भारत में उनके सींगों के लिए अवैध रूप से उनकी हत्या की जाती है। यहाँ तक कि हमारे पुजारियों को भी हिरण की खाल पर बैठा हुआ दिखाया जाता है और यह भयानक व्यवहार आज भी चल रहा है।
नर हिरण में सींग उनके जन्म के दूसरे वर्ष में ही विकसित होने लगते हैं। फिर वे युवा मादाओं के हरम में चले जाते हैं और उन्हें अपने सींग के आकार से आकर्षित करते हैं तथा जब प्रजनन की ऋतु आती है तो वे इन सींगों से अपने हरम की रक्षा करते हैं अथवा किसी और के हरम में से मादाओं को चुराने का प्रयास करते हैं। उनके सींगों का आकार शक्ति, पोषण तथा रोशनी पर निर्भर करता है न कि उनकी आयु पर।
यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में हरे पौधे, बेरी, अनाज तथा जंगली वनस्पति भी मिले तो वे बड़ी शाखाओं में उत्पन्न होंगे, क्योंकि उन्हें कैल्शियम तथा फॉस्फोरस की आवश्यकता होती है। वसंत ऋतु के प्रारंभ में सींग निकलने लगते हैं और यदि नर के पास पहले से ही सींग हैं तो ये नए वाले सींग पुराने वालों को बाहर निकालने के लिए धक्का देंगे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई नया दाँत पुराने दाँत को हटा देता है।
सींग पर खाल या मखमल समूचे वर्षभर उसकी रक्षा करता है। पतझड़ में धूप के कम होने से पशुओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम हो जाता है इसलिए सींग की रक्त आपूर्ति रुक जाती है और मखमल सूखने लगता है तथा नर्म हो जाता है और अंततः सींग गिर जाता है।
हिरण छोटे पौधों पर अपने सींग को रगड़कर अपने इलाके की सीमा निर्धारित कर देते हैं।
सबसे बड़े सींग वाला स्वस्थ हिरन मुक्केबाजी की प्रतियोगिता को जीतता है। इसका अर्थ होता है कि उसे हिरणी के साथ प्रजनन करने का अधिकार मिलता है। अवैध शिकारी उन्हीं हिरनों को पकड़ते हैं जिनके सींग सबसे बड़े होते हैं। चूँकि सींग का बढ़ना पशु के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है जिसका अर्थ है कि सबसे स्वस्थ एवं मजबूत पशु की हत्या की जा रही है, जो कि वर्ष-दर-वर्ष उनकी संख्या में कमी से मालूम हो रहा है।
अवैध शिकारी सींग के गिरने की प्रतीक्षा क्यों नहीं करते? क्योंकि यह एक समय में एक गिरता है और कोई उद्योग कई दिनों तक किसी व्यक्ति द्वारा किसी एक हिरण का पीछा करने और फिर उसके एक सींग को उठाने के लिए प्रतीक्षा नहीं कर सकता है। सजावटी वस्तुओं तथा नकली दवा के उद्योग को एक समय पर सैकड़ों सींगों की आवश्यकता होती है। दूसरा, जिस समय तक उन्हें गिराया जाता है वे हिरणों की लड़ाई के कारण कई भागों में बँट जाते हैं। तीसरा, जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह कि जैसे ही सींग को गिराया जाता है तो जंगल के छोटे जंतु उसे कैल्शियम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाने लगते हैं। इसलिए हिरण की हत्या करना आसान है।
इसकी कौन परवाह करता है कि उनकी संख्या कम हो रही है? कामोद्दीपक औषधि बनाने वाले उद्योग किसी और पशु को अपना निशाना बना लेंगे और कुछ आसानी से लुभाए जा सकने वाले चिकित्सकों की सहायता से मीडिया द्वारा उनके लिए कोई कहानी गढ़ लेगा।
चीन तथा अमेरिका आमतौर पर सबसे बड़े दोषी हैं। इंटरनेट पर देखें। आप पाएँगे कि हिरण के सींग को पीसकर बनाई गई गोलियों की सिफारिश यौन-इच्छा तथा यौन-शक्ति को बढ़ाने के लिए की जाती है। एक विज्ञापन में तो इसकी सिफारिश पहलवानों के लिए स्टेमिना को बढ़ाने तथा माँसपेशियों की शक्ति को बनाए रखने के लिए भी की गई है। ये गोलियाँ जितनी महँगी होती हैं, उतनी ही अनुपयोगी होती हैं।
पीसे गए हिरण के सींग में सिर्फ कैल्शियम होता है- और कुछ भी नहीं। आप किसी भी हड्डी को खाएँ तो आपको यह ही मिलेगा। चीन समूचे विश्व में इसका निर्यात करता है भले ही यह एक अवैध उत्पाद हो। 'पूर्व' के अनजान डॉक्टरों द्वारा इस संबंध में दावे किए जाते हैं कि हिरण के सींग से महिलाओं को एक स्वस्थ जीवन जीने में सहायता मिलती है। कुछ दावा करते हैं कि यह आर्थराइटिस को समाप्त करता है। अन्य कहते हैं कि यह घावों को ठीक करता है।
इन दावों को सही सिद्ध करने के लिए चीन में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यहाँ तक कि इसे बेचने वाले लोग भी कहते हैं कि यद्यपि इससे कोई 'तत्काल लाभ' नहीं मिलता है, परंतु इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स भी अधिक नहीं हैं। तथापि ऐसी गोलियों को बेचने वाले चेतावनी देते हैं कि यदि हिरण के सींग को अधिक मात्रा में खाया जाए तो पेट में गड़बड़ी हो सकती है और रक्तचाप, जन्मजात हृदयरोग अथवा हृदय में दर्द की शिकायत वाले लोगों को हिरण के सींग को नहीं लेना चाहिए।
पिछले वर्ष मैंने एक रात पुणे में एक ऐसे व्यक्ति के घर पर बिताई जिसके पास एक अनोखा झाड़ (शैंडिलियर) था। यह किसी पशु के अंग जैसा लगता था। बाद में मुझे पता चला कि वह झाड़ हिरण के सींगों से बनाया गया था और मेरे मेजबान पर वन्यजीव विभाग द्वारा छापा मारा गया था। वे यह कहकर बच गए कि उन्होंने इसे स्कॉटलैंड से खरीदा है।
ये ऐसे सींग नहीं हैं, जो स्थायी होते हैं। ये केवल हड्डी के ठोस टिशु होते हैं जिनका शाखाओं वाला ढाँचा होता है। ये हर वर्ष बनते हैं और इनका बनना दो कारकों से होता है- सूर्य की रोशनी जिसे फोटो पीरियड भी कहा जाता है तथा उसकी पहचान यह है कि नर हारमोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन बढ़ा रहा है।
हिरण की आँख को दिनों के लंबा होने का पता चला जाता है, जो ऑप्टिक नर्व के द्वारा पीनियल ग्लैंड को संदेश भेजती है। मस्तिष्क में स्थित पीनियल ग्लैंड ऐसे हारमोन को उत्पन्न करता है, जो टेस्टोस्टेरोन स्तरों को नियंत्रित करता है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने इसे कहाँ से खरीदा है। हिरण के सींग ऐसी वस्तु नहीं है, जो आपको जंगल में गिरे हुए मिल जाएँगे। हिरणों की हत्या की जाती है और उनके सींगों से चाकू के हैंडल तथा झाड़ जैसी बिना काम की सजावटी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। उनकी प्रजनन के मौसम के दौरान हत्या की जाती है, क्योंकि सींग बढ़ने लगते हैं और नर इन सींगों से मादा के लिए एक-दूसरे से लड़ने लगेंगे।
उनके सींग प्रजननकाल के पश्चात गिर जाते हैं और फिर से उगने की प्रक्रिया प्रारंभ होने लगती है। सही आकार के सींग बनने में आठ महीने लगते हैं। उनकी इस दौरान हत्या करके शिकारी यह सुनिश्चित कर देता है कि उनके मध्य कोई प्रजनन नहीं होता जिससे पैदा हो सकने वाला बच्चा कभी धरती पर नहीं आ पाता। इस प्रकार प्रजाति की संख्या कम होने लगती है और जब यह संकटापन्न हो जाती है तो उसे चिड़ियाघर में रखा जाता है, जहाँ वे मृत्यु होने तक बंधक बनाकर धकेल दिए जाते हैं।
जब हिरन समाप्त होते हैं तो उन पर जीवित रहने वाले भक्षक भी समाप्त होने लगते हैं, क्योंकि उनके भोजन के लिए कुछ नहीं बचता है- शेर, लकड़बग्घा, लोमड़ी आदि। ये झाड़ खरीदने वाले किसी व्यक्ति ने अपनी दीवार को सजाने के लिए न केवल कई हिरणों की हत्या की है बल्कि उसने कई प्रजातियों को भी सदा के लिए समाप्त कर दिया है। (लेखिका पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पशु कल्याण आंदोलन से जुड़ी हैं।)